आभूषणों के नाम संस्कृत मेंआभूषणों के नाम संस्कृत में

आभूषणों के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-19 | फलों के नाम संस्कृत में 

भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज हम पाठ-20 में आभूषणों के नाम संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।

उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक

मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः।।

अर्थात् मुर्ख के पांच लक्षण होते है घमण्ड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों का अनादर करना।

पाठ-20

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु बीसवाँ पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज आभूषणों के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। 

आभूषणों के नाम हिन्दी मेंआभूषणों के नाम संस्कृत में
अंगुठीमुद्रिका
उंगुलीअंगुलीयकम्
कंगनाकंकणः, कंकणम्
कण्ठाकण्ठाभरणम्, कण्ठिका
कनफूलकर्णपूरः, कर्णिका
करधनीमेखला, काञ्चिः
कान की बालीकुण्डलम्
गहनाअलङ्कारः, आभरणम्
घुंघरूकिंकिणी
चूड़ीकाचवलयः, काचवलयम्
टिकुलीललाटाभरणम्
नथछोलिका
नाक का फूलनासापुष्पम्
पहूंचीकटकः, आवापकः
पावेज(झांझर)नूपुरः, नूपुरम्
पुष्प मालास्रक्
बाजु बंद (ब्रेस लेट)केयूरम्, अंगदम्
बुलाकवरमौक्तिकम्
बेणीस्त्रीमस्तकाभरणम्
मालाललन्तिका, लम्बनम्, स्रक्
मोती का हारमुक्तावली
लच्छेपादाभरणम्
सोने का कड़ाकटकः
हसुलीग्रैवेयकम्
हाथ का तोड़ात्रौटकम्

यह संस्कृत सीखने का नवदश पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। 

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।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

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