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संस्कृत सीखें पाठ-04

“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” 

संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा गया है अर्थात सबसे शुद्ध एवं प्रासंगिक भाषा के रूप में भारतीय समाज में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त है।

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु चतुर्थ पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज रंगो के नामों को संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं।

यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01


आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –

रंगो के नाम संस्कृत में जानें

हिन्दी मेंसंस्कृत में
लाललोहितः, रक्तवर्णः
नीलानीलः
कालाश्यामः
पीलापीतः
सफेदश्वेतः, शुक्लः
हराहरितः
आसमानीआकाशवर्णः
भूराकपिशः, श्यावः
मूंगाप्रवाल वर्णः
गहरा लालशोणः
पीतलकांस्य
धूसरधूसरः, पलाशः
सुनहरासुवर्णः
जैतून रंगजितवृक्षवर्णः
गुलाबीपाटलः, श्वेतरक्तः
बैंगनीधूम्रवर्णः
तांबाताम्रम्
गेहूं जैसा रंगगोधुमवर्णः
चांदी जैसा रंगरजतवर्णः

यह संस्कृत सीखने का तृतीय पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतना शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।

।।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02

यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-03

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