संस्कृत सीखें पाठ-03
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा”
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा गया है अर्थात सबसे शुद्ध एवं प्रासंगिक भाषा के रूप में भारतीय समाज में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त है।
संस्कृत सीखें पाठ-03- वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु तृतीय पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें कुछ फलों के नामों को संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
फलों के नाम संस्कृत में
हिन्दी में | संस्कृत में |
अँगुर | द्राक्षा, मृद्वीका |
अंजीर | अंजीरम् |
अखरोट | अक्षोटम् |
अनार | दाडिमम् |
अमचूर | आम्रचूर्णम् |
अमरूद | आम्रलम् |
आँवला | आमलकम् |
आड़ू | आद्रालुः |
आम | आम्रम् |
आलूबुखारा | आलुकम् |
ककड़ी | कर्कटिका |
कच्चा फल | शलाटुः |
कत्था | कपित्थम् |
कटहल | पनसः |
नींबू | नीम्बूकम्, जम्बीरकम् |
काजू | काजवम् |
किशमिश | शुष्कद्राक्षा |
खजूर | खर्जूरम् |
खरबूजा | खर्जूरम् |
खीरा | चर्भटिः त्रपुषम् |
खुमानी | क्षुमानी |
चकोतरा | मधुकर्कटी, मधुजंबीरम् |
छुहारा | क्षुधाहरम् |
जामुन | जम्बुफलम् |
तरबूज | तारबूजम् |
नारंगी | नारंगम् |
नारियल | नारिकेलम् |
पिस्ता | अंकोलम् |
बादाम | वातादम् |
बेल | बिल्वम्, श्रीफलम् |
बेर | बदरीफलम्, कर्कन्धुः |
मुनक्का | मधुरिका |
मेवा | शुष्कफलम् |
लीची | लीचिका |
शहतूत | तूतम् |
सेव | सेवम् |
केला | कदलीफलम् |
यह संस्कृत सीखने का तृतीय पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतना शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
।।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02
यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01