संस्कृत में व्यवहारिक शब्द :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज के पाठ में हम व्यवहारिक शब्दों को संस्कृत में जानेंगे। संस्कृत में व्यवहारिक शब्द। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-09 | संस्कृत में वस्त्रों के नाम
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संस्कृत सीखें पाठ-01
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा”
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा गया है अर्थात सबसे शुद्ध एवं प्रासंगिक भाषा के रूप में भारतीय समाज में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त है।
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु प्रथम पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें कुछ व्यवहारिक शब्दों का प्रयोग किया गया है जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं।
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं
- नमस्ते नमस्कार – नमस्ते/नमस्कारः।
- प्रणाम- प्रणामः।
- धन्यवाद – धन्यवादः।
- स्वागत – स्वागतम्।
- क्षमा कीजिए- क्षम्यताम्।
- कोई बात नहीं जाने दो – चिन्ता मास्तु।
- कृपया – कृपया।
- फिर मिलेंगे- पुनः मिलामः।
- अस्तु- ठीक है।
- श्रीमान् मान्यवर – श्रीमन्/मान्यवर।
- श्रीमती जी – मान्ये।
- अच्छा – उत्तमम् / शोभनम्।
- बहुत अच्छा – बहु उत्तमम्।
- आपका नाम क्या है ? – भवतः नाम किम्? (पुलिंग)
- आपका नाम क्या है? – भवत्याः नाम किम्? (स्त्रीलिंग)
- मेरा नाम ‘ ………..। – मम नाम ‘ ……………..’।
- यह मेरा मित्र ………..। – एषः मम मित्रं ……….. ।
- यह मेरी सखी …………। – एषा मम सखी …………..।
यह संस्कृत सीखने का प्रारम्भिक पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतना शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
जयतु संस्कृतं जयतु भारतम्।
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