संस्कृत सीखें पाठ-05
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा”
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को देवों की भाषा भी कहा गया है अर्थात सबसे शुद्ध एवं प्रासंगिक भाषा के रूप में भारतीय समाज में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त है।
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु पंचम पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज सब्जियों के नामों को संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01
सब्जियों के नाम संस्कृत में जानें–
हिन्दी में | संस्कृत में |
सब्जी | शाकः, शाकम् |
फूल गोभी | गोजिह्वा |
टमाटर | रक्ताङ्गकः |
बैगन | वृन्ताकः |
प्याज | पलाण्डुः |
आलू | आलुकः |
लौकी | अलाबु |
तरकारी | शाकः |
सीवा | शीतशिवा |
परवल | पटोलः |
सिंघाड़ा | शृंगाटकः |
तरोई | कोशातकी |
कोंहड़ा | कोषफलम् |
ओला | सूरणः |
करैला | कारवेल्लः |
गाजर | गुञ्जनम् |
सलगम | गुञ्जनम् |
पालक | पालकः |
मटर | कलायः |
सेम | शिम्बी |
पत्ता गोभी | कपिशाक |
अदरक | आद्रकम् |
बड़ी मिर्च | कटुवीरा |
भिंडी | भिण्डिका |
खीरा | चर्भटि: |
बधुवा | वास्तुकम् |
धनिया | धान्याकम् |
भिन्डी | रामकोशातकी |
चुकंदर | पालङ्क |
हिंग | हिंगू |
गांठगोभी | कंदशाकम् |
हल्दी | हरिद्रा |
शतावरी | सूक्ष्मपत्त्रिका |
कद्दू | कुषमांड |
हाथी चक | भक्ष्यमूल सूर्यमूखी |
ककड़ी | कर्कटी |
अजवायन | गन्धपत्त्रिका, अजमोदिका |
काबुली चना | चणक |
मिर्च | मरीचं |
दालचीनी | दारुचिनी |
हरी मिर्च | हरित-मरीचं |
सोआ | वज्रपुष्पा |
मशरूम | छत्त्र, पालघ्न |
हरी फली | हरित-शिबिका |
लहसुन | लशुनं |
हरा प्याज | हरित-पलाण्डुः |
मसूर | मसूर: |
तुरई | कोशातकी |
अजवायन की पत्ती | अजमोद पत्र: |
दौनी, मेंहदी | मेंधीका |
शकरकंद (मीठा आलू) | शकरकन्दः |
नेनुवा | जालिनी |
करौंदा | आमलकी |
कटहल | पनसम् |
कुंदरू, कुन्दरी | कुन्दरू: |
शिमला मिर्च | महामरीचिका |
पुदीना | अजगंध: |
साग | शाकम् |
सरसों | सर्शपः |
केसर | अग्निशाखा |
टिंडा | टिंडीश: |
यह संस्कृत सीखने का पंचम पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतना शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
।।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02
यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-03