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संस्कृत सीखें पाठ-07 | संस्कृत में सर्वनाम शब्द:- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-06 | शरीर के अंगों के नाम संस्कृत में 

संस्कृत सीखें पाठ-07

सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥

” भावार्थ- सत्य बोलें, प्रिय बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें, ऐसी सनातन रीति है।

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु सप्तम पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज संस्कृत में सर्वनाम शब्दों को जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में


आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –

यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01

संस्कृत में सर्वनाम शब्दों को  जानें

सर्वनाम शब्द हिन्दी मेंसर्वनाम शब्द संस्कृत में
यहाँअत्र
वहाँतत्र
कहाँकुत्र
दूसरी जगहअन्यत्र
सब जगहसर्वत्र
दोनों जगहउभयत्र
यहीं परअत्रैव
वहीं पर तत्रैव
 जितनायावत्
उतना तावत्
इतना एतावत्
कितनाकियत्
यहां सेइतः
वहां सेततः
कहां सेकुतः
 जहां सेयतः
इधर-उधरइतस्ततः
सब ओर सेसर्वतः
दोनों ओर सेउभयतः
कहीं भीकुत्रापि
उसमें भीतत्रापि
 जहां कहीं भीयत्र-कुत्रापि
कहीं सेकुतश्चित्
 कभीकदाचित्
 कबक्व
कभी भीक्वापि
तबतदा

यह संस्कृत सीखने का सप्तम पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में

।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02

यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-03

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