संस्कृत सीखें पाठ-06 | शरीर के अंगों के नाम संस्कृत में:- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है।
संस्कृत सीखें पाठ-06
“सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥“
” भावार्थ- सत्य बोलें, प्रिय बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें, ऐसी सनातन रीति है।
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु छठा पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज शरीर के अंगों के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01
शरीर अंगों के नाम संस्कृत में जानें–
शरीर अंगों के नाम हिन्दी में | शरीर अंगों के नाम संस्कृत में |
निचले ओंठ | अधरम् |
जीभ | जिह्वा रसना |
दाँत | दन्ता: |
आँत | अन्त्रम् |
मसूढे | दन्तपालि |
माँस | अभिषम् |
पलक | पक्ष्म |
मुँह | आस्यम् |
पीठ | पृष्ठम् |
जंघा | उरु |
पैर | पाद: |
उपरी ओंठ | ओष्ठं |
सफेद बाल | पलितकेशा: |
अँगुली | अंगुल्य: |
अँगूठा | अंगुष्ठ: |
भू: | भौंह |
गाल | कपोलम् |
मुख | मुखम् |
पुतली | कनीनिका |
खून | रुधिरम् |
गला | कण्ठः |
रोएँ | रोम |
कोहनी | कफोणिः |
नेत्र | लोचनम् |
कलाई से कनी अंगुली तक | करभः |
मस्तक ललाटम् | वक्षस्थलम् |
सीना | कुक्षिः |
पेट | उदरम् |
बाल | केशा: , शिरोरूहः |
चोटी | शिखा |
सिर | शिरस् |
दाढ़ी | कूर्चम् |
नस | शिरा |
चर्बी | वसा |
यह संस्कृत सीखने का छठा पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में
।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
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