पशुओं के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है।
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संस्कृत सीखें
येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।
अर्थात : जिस मनुष्य ने किसी भी प्रकार से विद्या अध्ययन नहीं किया, न ही उसने व्रत और तप किया, थोड़ा बहुत अन्न-वस्त्र-धन या विद्या दान नहीं दिया, न उसमें किसी भी प्राकार का ज्ञान है, न शील है, न गुण है और न धर्म है। ऐसे मनुष्य इस धरती पर भार होते हैं। मनुष्य रूप में होते हुए भी पशु के समान जीवन व्यतीत करते हैं।
पाठ-12
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु द्वादश पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज पशुओं के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं।
पशुओं के नाम संस्कृत में
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
पशुओं के नाम हिंदी में | पशुओं के नाम संस्कृत में |
गाय | गो, धेनु: |
बैल | वृषभ: ‚ उक्षन्‚ अनडुह |
ऊंट | उष्ट्र‚ क्रमेलकः |
खरगोश | शशक: |
गिलहरी | चिक्रोड: |
दरियाई घोडा | जलाश्व: |
बिल्ली | मार्जार:, बिडाल: |
चीता | तरक्षु:, चित्रक: |
गिरगिट | कृकलास: |
मकड़ी | उर्णनाभः‚ तन्तुनाभः‚ लूता |
छछूंदर | छुछुन्दर: |
कुत्ता | श्वान:, कुक्कुर:‚ कौलेयकः‚ सारमेयः |
कुतिया | सरमा‚ शुनि |
नीलगाय | गवय: |
वनमानुष | वनमनुष्य: |
गीदड (सियार) | श्रृगाल:‚ गोमायुः |
भालू | भल्लूक: |
मगरमच्छ | मकर: ‚ नक्रः |
भेंड | मेष: |
कंगारू | कंगारुः |
गधा | गर्दभ:, रासभ:‚ खरः |
मेंढक | दर्दुरः‚ भेकः |
मछली | मत्स्यः‚ मीनः‚ झषः |
बन्दर | मर्कट: |
छिपकली | गृहगोधिका |
भैस | महिषी |
सुअर | सूकर:‚ वराहः |
जिराफ | चित्रोष्ट्र |
भेंडिया | वृक: |
लोमडी | लोमशः |
हिरण | मृग: |
घोड़ा | अश्व:, सैन्धवम्‚ सप्तिः‚ रथ्यः‚ वाजिन्‚ हयः |
भैंसा | महिषः |
चित्तीदार घोड़ा | चित्ररासभ: |
बाघ | व्याघ्र:‚ द्वीपिन् |
लोमड़ी | लोमशः |
गोह | गोधा |
केकड़ा | कर्कट: ‚ कुलीरः |
सेही | शल्यः |
नेवला | नकुल: |
हाथी | हस्ति, करि, गज: |
शेर | सिंह:‚ केसरिन्‚ मृगेन्द्रः‚ हरिः |
तेंदुआ | तरक्षुः |
कछुआ | कच्छप |
बकरा | अज: |
बकरी | अजा |
चूहा | मूषक: |
कनखजूरा | कर्णजलोका |
गैंडा | खड्.गी |
यह संस्कृत सीखने का द्वादश पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
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