वृक्षों तथा फूलों के नाम संस्कृत मेंवृक्षों तथा फूलों के नाम संस्कृत में

वृक्षों तथा फूलों के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है।

भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज हम पाठ-13 में वृक्षों तथा फूलों के नामों को संस्कृत में पढ़ेगें। इन वृक्षों तथा फूलों के नामों का प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।

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उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम् ॥

अर्थात् विद्यार्थी में यह पांच लक्षण होने चाहिए- कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद, अल्पाहारी (कम भोजन करने वाला), और गृह-त्यागी होना चाहिए।

पाठ-13

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु त्रयोदश पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज वृक्षों तथा फूलों के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। 

वृक्षों तथा फूलों के नाम संस्कृत में

आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –

वृक्ष तथा फूलों के नाम
हिन्दी में
वृक्ष तथा फूलों के नाम
संस्कृत में
आंवला-
आक-
आम-
आवनूस-
एरंड-
कटहल-
कदम्ब-
करील, बबूर-
खैर-
गूगल-
चिरचिटा-
चीड़-
जामुन-
ढाक-
ताड़-
देवदार-
धतूरा-
नारियल-
नीम-
पाकड़-
पीपल-
बड़-
बहेडा-
बाँझ का पेड़-
बेत-
बेल-
महुआ-
रीठा–
लिसोड़ा-
शीशम-
साल का पेड़-
सेमर-
हर्र-  
आमलकी
अर्कः
रसालः, आम्रः
तमालः
एरण्डः
पनसः
नीपः
करोरः
खदिरः
गुग्गुलः
अपामार्गः
भद्दारुः
जम्बूः
पलाशः
तालः
देवदारुः
धत्तूरः
नारिकेलः
निम्बः
प्लक्षः
अश्वत्थः
न्यग्रोधः
बिभीतकः
सिन्दूरः
बेतसः
बिल्वः
मधूकः
फेनिलः
श्लेष्मातकः
शिंशपा
सालः
शाल्मली
हरीतकी  

यह संस्कृत सीखने का त्रयोदश पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। 

।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

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