जानें, चन्द्रमा का जन्म कुण्डली के 12 भावों में प्रभाव:- ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा ग्रह को मन का प्रतीक माना जाता है। चन्द्रमा ग्रह की कर्क राशि का स्वामी होता है। वृष राशि में चन्द्रमा उच्च का माना जाता है तथा वृश्चिक राशि में चन्द्रमा ग्रह नीच का माना जाता है। जानें, चन्द्रमा का जन्म कुण्डली के 12 भावों में प्रभाव
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जानें, चन्द्रमा का जन्म कुण्डली के 12 भावों में प्रभाव
प्रथम भाव
चन्द्रमा लग्न में हो तो शारीरिक सुख साधारण हो, मानसिक प्रसन्नता वाला, वाद्य सांख्य और योग का अभ्यास वाला, कभी दुर्बल तथा कभी मोटे शरीर वाला, स्त्री सुख वाला, यात्रा करने वाला, व्यवसाय की उन्नति वाला होता है।
द्वितीय भाव
चन्द्रमा द्वितीय घर में तो धन सुख और कुटुम्ब वाला, सुख उत्तम वाला, अच्छे भोजनवाला, तीक्ष्ण रस प्रियवाला, शीतल स्वभाव वाला, सहनशील, दयालु स्वभाव वाला, बहनों वाला, अल्प भातृवान् वाला होता है।
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तृतीय भाव
चन्द्रमा यदि जन्म कुण्डली के तीसरे भाव में हो तो जातक व्यवसायी, साहसी, भ्रातृवान्, वाहनवान्, बुद्धि युक्त, चञ्चल घूमने वाला होता है।
चतुर्थ भावा
चन्द्रमा यदि जातक की कुण्डली के चौथे भाव में हो तो गृहादि सुख युक्त, बन्धु युक्त, मित्र युक्त, विनीत, दयालु, शान्तस्वभाव का और बुद्धिमान होता है।
पंचम भाव
चन्द्रमा यदि जातक की कुण्डली के पांचवें भाव में हो तो बुद्धिमान, विद्वान, अनेक शास्त्र को जानने वाला, यानप्रिय, पुत्र कन्या युक्त, विनीत और मनुष्य को पहचानने वाला तथा क्षमा शील होता है।
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छठा भाव
चन्द्रमा यदि जातक की कुण्डली के छठे भाव में हो तो लड़कपन में दुखी, शत्रु से दुखी, अल्पव्ययी, नेत्र विकारयुक्त, पशुप्रिय तथा भृत्यप्रिय होता है।
सातवां भाव
सप्तम में चन्द्रमा हो तो कामी, मितभाषी, चञ्चल, विलासी, तीक्ष्ण, स्फुर्तियुक्त, मृदुवाक-शीतलस्वभाव व्ययसायी और घूमने वाला होता है।
आठवां भाव
चन्द्रमा यदि जातक की कुण्डली के आठवें भाव में हो तो चञ्चल, ईर्षालु, नीच, बुद्धियुक्त, चिन्ताशील, हेतुवादी, दानी तथा अल्प कुटुम्बी होता हैं।
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नौवां भाव
यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा नौवें भाव में हो तो जातक धर्मात्मा, चंचल, विदेश प्रिय, संयमी, बुद्धिमान, विद्याप्रिय, सुशील वृद्धसेवी, साहसी तथा अल्प भर्तृवान होता है।
दसवां भाव
यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा दसवें भाव में हो तो जातक दीर्घायु, मनस्वी, राजकार्य युक्त, बुद्धिमान, विलासी भोगी, मात्री सुख युक्त, मित्र युक्त तथा धर्मात्मा होता है।
ग्यारहवां भाव
यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा गयारहवें भाव में हो तो जातक मंत्रज्ञ, साहसी, संयमी, धनवान, अल्प पुत्र व कन्याप्रज, पुत्र प्रेमी, परदेश प्रिय, राजकार्य, दक्ष और मनस्वी होता है।
बारहवां भाव
चंद्रमा यदि किसी जातक की कुंडली के बारहवें भाव में हो तो जातक चिंताशील, शत्रु युक्त, अधिकव्ययी मानी सुरूप तथा मृदुभाषी होता है।
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