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व्यवहारिक शब्दों का प्रयोग संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज के पाठ में हम व्यवहारिक शब्दों को संस्कृत में जानेंगे। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-10 | संस्कृत में व्यवहारिक शब्द

संस्कृत सीखें

येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।

ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।

अर्थात : जिस मनुष्य ने किसी भी प्रकार से विद्या अध्ययन नहीं किया, न ही उसने व्रत और तप किया, थोड़ा बहुत अन्न-वस्त्र-धन या विद्या दान नहीं दिया, न उसमें किसी भी प्राकार का ज्ञान है, न शील है, न गुण है और न धर्म है। ऐसे मनुष्य इस धरती पर भार होते हैं। मनुष्य रूप में होते हुए भी पशु के समान जीवन व्यतीत करते हैं।

पाठ-11

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु एकादश पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज व्यवहारिक शब्दों का प्रयोग संस्कृत में कैसे करेंगे इसको जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में

व्यवहारिक शब्दों का प्रयोग संस्कृत में

आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –

यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01

हिन्दी मेंसंस्कृत में
कागजकागदम्
कलमलेखनी
पेन्सिलअङ्कनी
रिफिलपुनःपूरणी
टोपीशिरस्त्रम्
अरहरआढकी
पिताजनकः, पिता
माताजननी, माता
बड़ा भाईअग्रजः
छोटा भाई अनुजः
बड़ी बहन अग्रजा
छोटी बहनअनुजा
 मामामातुलः
मामीमातुलानी
दादापितामहः
दादीपितामही
नानामातामहः
नानीमातामही
बहुस्नुषा
श्वसुरश्वशुरः
सासश्वश्रूः
मौसीमातृस्वसा
पोतापौत्रः
भतीजाभ्रात्रीयः
भतीजीभातृसुता
धोबीरजकः
मिस्त्रीयान्त्रिकः
मशीनयन्त्रम्
मालीमालाकारौः
नौकरभृत्यः, किंकरः
पालिशपादूरञ्जकः
दरवानप्रतीहारः
कैंचीकर्तरी
आरीकरपत्रम्
कार्टूनउपहासचित्रम्
ईंटइष्टकः
हथौड़ीअयोधनः
लोहाअयसम्
सीमेन्टअश्मचूर्णम्
सेफ्टीरेजरउपक्षुरम्
तुलातराजू
टैक्सकरः
बोराशणपुटः

यह संस्कृत सीखने का एकादश पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में

।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-07 | संस्कृत में सर्वनाम शब्द

यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02

यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-03

यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-09 | संस्कृत में वस्त्रों के नाम 

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