संस्कृत में सम्बन्ध सूचक शब्द :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-07 | संस्कृत में सर्वनाम शब्द
पाठ-08
“सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥“
” भावार्थ- सत्य बोलें, प्रिय बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें, ऐसी सनातन रीति है।
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01
संस्कृत में सम्बन्ध सूचक शब्दों को जानें–
हिन्दी में | संस्कृत में |
बड़ा भाई | अग्रजः |
छोटा भी | अनुजः, निष्ठसहोदरः |
परदादा | प्रपितामहः |
पोती | पौत्री |
दुश्मन | अरिः |
बूआ | पितृष्वसा |
फूफा | पितृष्वसृपतिः |
पुत्र | आत्मजः |
पुत्री | आत्मजा |
रिश्तेदार | बन्धुः |
सखी | आलिः |
बहनोई | आवुत्तः |
भानजा | भागिनेयः |
नौकर | भृत्यः |
भतीजा | भ्रात्रीयः |
भतीजी | भातृसुता |
देवर | देवरः |
ननद | ननान्दृ |
नाती | नप्तृ |
पति | पतिः |
दादा | पितामहः |
दादी | पितामही |
चचेरा भाई | पितृव्यपुत्रः |
चाचा | पितृव्यः |
चाची | पितृव्यपत्नी |
नौकरानी | परिचारिका |
मामा | मातुलः |
मामी | मातुली |
मौसा | मातृष्वसृपतिः |
मौसी | मातृष्वसृ |
देवरानी | यातृ |
मित्र | वयस्यः |
साला | श्यालः |
श्वश्रूः | सास |
नाना | मातामहः |
नानी | मातामहः |
पिता | जनकः |
माता | जननी |
दामाद | जामाता |
यह संस्कृत सीखने का अष्टम पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में
।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
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यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में