संस्कृत में वस्त्रों के नाम :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। यह भी पढ़े– संस्कृत सीखें पाठ-08 | संस्कृत में सम्बन्ध सूचक शब्द
प्रथमेनार्जिता विद्या द्वितीयेनार्जितं धनम्। तृतीयेनार्जितः कीर्तिः चतुर्थे किं करिष्यति।।
अर्थात् जिसने प्रथम अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्या अर्जित नहीं की, द्वितीय अर्थात गृहस्थ आश्रम में धन अर्जित नहीं किया, तृतीय अर्थात वानप्रस्थ आश्रम में कीर्ति अर्जित नहीं की, वह चतुर्थ अर्थात संन्यास आश्रम में क्या करेगा?
पाठ-08
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु नवम पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज संस्कृत में वस्त्रों के नाम जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं।
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु दशम पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज संस्कृत में व्यवहारिक शब्दों को जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में
संस्कृत में वस्त्रों के नाम
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
यह भी देखें- आइए हम भी संस्कृत सीखें |संस्कृत सीखें पाठ-01
हिन्दी में वस्त्रों के नाम | संस्कृत में वस्त्रों के नाम |
कपड़ा | वस्त्रम्, वसनम्, चीरम् |
पैंट | आप्रपदीनम् |
पायजामा | पादयामः |
परदा | यवनिका, तिरस्करिणी |
दुपट्टा | उत्तरीयम् |
तकिया | उपधानम् |
जूता | उपानह |
अंगरक्षा | अंगरक्षिका |
उनी वस्त्र | रांकवम् |
कमरबन्द | रसना, परिकरः, कटिसूत्रम् |
कोट | प्रावारः |
दरी | आस्तरणम् |
धोती | अधोवस्त्रम्, धौतवस्त्रम् |
नाइटड्रेस | नक्तकम् |
पगड़ी | शिरस्त्रम्, उष्णीषम् |
कंबल | कम्बलः |
कुरता | कंचुकः, निचोलः |
गद्दा | तूलसंतरः |
बिछौना | शैय्या |
ब्लाउज | कंचुलिका |
टोपी | शिरस्त्राणम् |
शेरवानी | प्रावारकम् |
जाकेट | अंगरक्षकः |
मोजा | पादत्राणम् |
रजाई | तूलिका, नीशारः |
रुई | कार्पासः, तूलः |
सलवार | स्यूतवरः |
साड़ी | शाटिका |
चादर | शय्याच्छादनम्, प्रच्छदः |
यह संस्कृत सीखने का नवम पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। यह भी देखें- संस्कृत सीखें पाठ-04 | रंगो के नाम संस्कृत में
यह भी पढे- संस्कृत सीखें पाठ-05 | सब्जियों के नाम संस्कृत में
।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
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यह भी देखें- संस्कृत सीखें | पाठ- 02
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