क्रीडा सम्बन्धी शब्द संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है।
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संस्कृत का प्रचार-प्रसार अब वर्तमान तकनीकी युग में बहुत तेजी से बढ़ रहा। प्रचार का माध्यम चाहे संस्कृत शिविरों के माध्यम से हो रहा हो अथवा संस्कृत में हिन्दी गानों का अनुवाद कर उनका गायन कर हो रहा हो। सबका एक ही ध्येय है कि संस्कृत भाषा पुनः बोल चाल की भाषा बने। आज हम क्रीडा सम्बन्धी शब्द संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।
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क्रीडा सम्बन्धी शब्द संस्कृत में अलमारी- काष्ठमञ्जूषा आधीरात- निशीथः उत्तर- उदीची कुर्सी- आसन्दिका खाट- खट्वा गेंद- कन्दुकः ग्रीष्म ऋतु- निदाघः घंटा- होरा घड़ी- घटिका चबूतरा- स्थण्डिलम् चिड़िया– पत्रिन् चुंगी, फीस- शुल्कः टेनिस का खेल- प्रक्षिप्त-कन्दुक-क्रीडा डेस्क- लेखन-पीठम् दक्षिण- दक्षिणा दिन- दिवसः, दिनम् , अहन् (नपुं०) मिनट- कला दिशा- काष्ठाः मेज- फलकम् दोपहर- मध्याह्नः मैच- क्रीडाप्रतियोगिता दोपहर के पहले का समय- पूर्वाह्णः(AM) रात- रात्रिः, विभावरी रेफरी- निर्णायकः दोपहर के बाद का समय- अपराह्णः(PM) रैकेट- काष्ठपरिष्करः निवाड़- निवारः वर्षाकाल- प्रावृष् नेट- जालम् बालीबाल- क्षेपकन्दुकः पलंग- पल्यङ्कः शिष्य- अन्तेवासी पश्चिम-प्रतीची संदूक- मञ्जूषा पूर्व- प्राची सप्ताह- सप्ताहः प्रातः- प्रत्यूषः समय- बेला फर्नीचर- उपस्करः सूर्यास्त समय- प्रदोषः फुटबाल- पादकन्दुकः सेकंड- विकला बजे- वादनम् सोफा- पर्यङ्कः बुक रेक- पुस्तकाधानम् स्टूल- संवेशः बेंच- काष्ठासनम् स्नातक- समावृत्तः हाकी का खेल- यष्टिक्रीडा बैड मिंटन- पत्रिक्रीडा |
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संस्कृत सीखें के अन्तर्गत इस पाठ में हमने क्रीडा सम्बन्धी शब्द संस्कृत में जाना। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।
अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम् ॥
अर्थात् जिसके घर में न माता हो और न स्त्री प्रियवादिनी हो , उसे वन में चले जाना चाहिए। क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं ।
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।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
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