पुराणों में वर्णित धर्म | धर्म का अर्थ |निष्पत्ति | Religion in Puranas
पुराणों में वर्णित धर्म :- धर्म का अस्तित्व देश एवं काल की सीमाओं से परे है। संसार के सभी देशों और जातियों में न जाने कब से धर्म की मान्यता…
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा”
पुराणों में वर्णित धर्म :- धर्म का अस्तित्व देश एवं काल की सीमाओं से परे है। संसार के सभी देशों और जातियों में न जाने कब से धर्म की मान्यता…
अपौरूषेय वेद का काल विभाजन :- भारतीय वैदिक दृष्टि से वेदों के काल निर्णय का प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि पारम्परिक दृष्टि से वेद अनादि हैं, नित्य हैं, काल अनवच्छिन्न…