वास्तु अनुसार घर की दिशा में क्या-क्या होना चाहिए:- वास्तु शास्त्र अनुसार घर का निर्माण करते समय यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि घर की किस दिशा में क्या क्या होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में इस प्रकार के विषयों का वर्णन स्थान स्थान पर मिलता है।
वास्तुशास्त्र अनुसार घर की दिशाओं में क्या-क्या होना चाहिए
हम सबकी इच्छा रहती है कि हमारा घर सबसे सुंदर और सबसे अच्छा बने परंतु कई बार हम इन सब के चक्कर में शास्त्र अनुरूप बताई गई महत्वपूर्ण बातों को छोड़ देते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा अनुसार घर के मुख्य द्वार की दिशा रसोईघर शौचालय खिड़कियां प्रांगण पेड़ पौधे पुष्पा दी सबका निर्धारण करना चाहिए। यदि वास्तु शास्त्र अनुसार उपरोक्त सभी विषयों का ध्यान घर बनाते समय रखेंगे तो घर में कभी भी क्लेश अथवा वास्तु दोष जैसी समस्याएं नहीं आती हैं। अतः घर का निर्माण करते समय वास्तु शास्त्र का पालन करना ही चाहिए।
आइए आज के लेख में हम दिशाओं के अनुसार घर में क्या-क्या किस दिशा में होना चाहिए इसके बारे में जानेंगे।
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पूर्व दिशा
घर का निर्माण करने के लिए पूर्व दिशा को सर्वोत्तम माना जाता है। क्योंकि पूर्व दिशा से ही सूर्य का उदय होता है और उसके उदय होने से जो प्रभात की शुद्ध एवंरहने वाले प्राणियों की भी आयु को बढ़ाती है। पूर्व दिशा में घर बनाने पर सूर्य की जो किरणें घर के अंदर प्रवेश करती है वह घर के अंदर सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देती है अतः वास्तु अनुसार पूर्व दिशा में घर का मुख्य करना चाहिए अथवा ऐसा कह सकते हैं कि पूर्व दिशा मुखी घर सर्वोत्तम रहता है।
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा को देवताओं की दिशा भी कहा जाता है वह इसलिए क्योंकि हिमालय उत्तर दिशा में है।अतः वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा का महत्व अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण रहता है।घर की बात करें तो उत्तर दिशा की ओर हमारे घर की खिड़की और बालकनी के दरवाजे होने चाहिए ताकि उधर से हमें स्वच्छ वायु और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती रहे। घर का वास वेशन भी आप उत्तर दिशा की ओर बना सकते हैं। विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए कि हमारे बेड की दिशा उत्तर दिशा की ओर ना हो वह वास्तु शास्त्र अनुसार वर्जित है। यदि अपने पास कोई मैग्नेट हो तो उसे अवश्य ही उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
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पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा का प्रयोग घर में रसोईघर तथा शौचालय के लिए विशेष रूप से रहता है परंतु ध्यान दें रसोईघर और शौचालय साथ साथ ना हो। विशेष रूप से शौचालय के लिए पश्चिम दिशा को उत्तम माना जाता है।
दक्षिण दिशा
वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को स्टोर रूम अथवा भारी सामान रखने के लिए प्रयोग करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर हमारे घर की खिड़कियां और दरवाजे ना हो ऐसा प्रयास करना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा को नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है अतः दक्षिण दिशा का प्रयोग भारी सामान आदि रखने के लिए ही करें।
उत्तर पूर्व ईशान दिशा
उत्तर पूर्व ईशान दिशा का प्रयोग विशेष रूप से वास्तु शास्त्र अनुसार जल्द के लिए किया जाता है अथवा जल भंडारण के लिए किया जाता है। ईशान दिशा में हेडपंप स्विमिंग पूल आदि होना लाभकारी रहेगा।
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दक्षिण पूर्व आग्नेय दिशा
आग्नेय दिशा का प्रयोग वास्तु शास्त्र अनुसार घर में रसोई घर के लिए विशेष रुप से करना चाहिए क्योंकि आग्नेय दिशा को अग्नि तत्व की दिशा भी कहा जाता है। अतः घर बनाते समय ध्यान दें कि हमारा रसोईघर अग्नि दिशा में हो और उसमें भी गैस सिलेंडर चिमनी आदि इसी दिशा में हो।
उत्तर पश्चिम वायव्य दिशा
घर में वायव्य दिशा का प्रयोग बैडरूम गौशाला अथवा गैर आदि के लिए किया जा सकता है।
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दक्षिण पश्चिम नैॠत्य दिशा
नृत्य दिशा में वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुखिया का कमरा होना उत्तम माना जाता है। साथ ही नृत्य दिशा का प्रयोग गैस रखने के स्थान के लिए अथवा मासी ने आदि रखने के स्थान के लिए भी किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र अनुसार घर का प्रांगण
वास्तु शास्त्र अनुसार घर का प्रांगण होना ही चाहिए। घर के प्रांगण में तुलसी के पौधे नीम आमला सुंदर फूलदार पौधे लगाने चाहिए जिससे कि घर के अंदर और बाहर दोनों जगह सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे जिसकी आवश्यकता घर में रहने वाले प्राणियों को सर्वाधिक रहती है।
उपरोक्त सभी जानकारियों का लाभ घर बनाते समय लेने से घर में क्लेश आदि कई प्रकार की समस्याओं से सदा सदा के लिए छुटकारा मिल जाता है।
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