विजयदशमी है बुराई पर अच्छाई की जीत:- भारत में अनेक प्रकार के त्यौहार पर्व मनाए जाते हैं। इनमें दक्षिणायन कालिक आश्विन मास में नवरात्र, विजयदशमी, शरदपूर्णिमा, धनतेरस, दीपावली, भ्रातृद्वितीया आदि प्रमुख हैं। इनमें दशहरा पर्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। कुल्लू का दशहरा भारत में ही नहीं अपितु, विश्व भर में विख्यात है।
दशहरा पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाए जाने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत अर्थात असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दशहरा प्रतिवर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनायी जाता है।
इस वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 05 अक्टूबर 2022 को पड़ रही है। अतः दशहरे का महोत्सव 05 अक्टूबर 2022 बुधवार को मनाया जाएगा।
विजयदशमी की ऐतिहासिकता
अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र श्री राम जी जब वनवास गए हुए थे, तब माता सीता का अपहरण हो गया था। भगवान श्रीराम ने वानर राज सुग्रीव की सहायता से ज्ञात किया कि माता सीता को लंकापति रावण ने अशोक वाटिका में बन्दी बना रखा है। माता सीता को लंकापति रावण के बंधन से मुक्त कराने हेतु भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण कर दिया। लंका में सभी योद्धाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद दशमी तिथि को श्री राम जी ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशानन के प्राण हरण होने के कारण दशहरा कहा जाता है। भिन्न-भिन्न स्थानों पर इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है।
विजयादशमी अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय, पाप पर पुण्य की विजय, अत्याचार पर सदाचार की विजय, क्रोध पर दया क्षमा की विजय, रावण पर श्रीराम की विजय के प्रतीक का पावन पर्व है।
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विजयदशमी को करते हैं शस्त्र पूजन
सभी हिंदू धर्म के लोग इस दिन अपने घरों में इष्ट देवता की पूजा के साथ महाकाली या दुर्गा की पूजा करते हैं। उसके बाद अनेक अस्त्रशस्त्र आयुध, तलवार, भाला , परशु, बंदूक, धनुषवाण या अन्य अस्त्र-शस्त्र जो घर में हो उनकी पूजा कर सर्वत्र विजयकामना की जाती है।
विजयदशमी ही एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसमें हम अपने अस्त्र शस्त्रों का पूजन करते। इस दिन लोग अपने घरों में रखे हुए अस्त्र शस्त्रों की सफाई कर उनकी मंत्र उच्चारण सहित कुमकुम पुष्प धूप दीप आदि के द्वारा उनकी पूजा करते हैं।
कहीं-कहीं पर माता लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है, उपरांत नवरात्रों में स्थापित कलश के नीचे से जौ तोड़ कर के यजमान के कानों पर रखते हैं। जिसे यजमान शुभता अभ्युन्नति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।
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विजय दशमी और शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त्त
विजयदशमी का त्यौहार ठीक नवरात्रों के बाद मनाया जाता है।
- दशमी तिथि का प्रारंभ 04 अक्टूबर को दोपहर 2:22 मिनट से प्रारंभ होगा।
- विजयदशमी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रात: 7 बजकर 44 मिनट से प्रात: 9 बजकर 13 मिनट तक और इसके बाद प्रात: 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 2 बजकर 09 मिनट बजे तक रहेगा।
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