आज है श्रीगोवर्धन पर्वत पूजा। जानें शुभ-मुहूर्त्त:- दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में धार्मिक दृष्टि से बहुत बड़ा स्थान है। गोवर्धन पूजा को कहीं-कहीं प्रकृति की पूजा से भी जोड़ते हैं जिसका प्रारंभ साक्षात भगवान श्री कृष्ण ने किया था।
द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्णा ब्रज भूमि पर अपनी लीलाएं दिखा रहे थे। उस समय भगवान श्री कृष्ण हर्ष उल्लास और आनंद से रह रहे थे उस समय की एक प्रसिद्ध कथा है।
यह भी पढ़े- अच्युताष्टकं स्तोत्रम्
श्रीगोवर्धन पर्वत पूजा का पौराणक इतिहास
एक बार गोकुल में सभी गोकुल वासी हर्षोल्लास के साथ कहीं पकवान आदि का निर्माण कर रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मैया यशोदा से पूछा कि मां आज यह उत्सव किसके लिए है। तब यशोदा मैया ने कहा- यह उत्सव देवराज इंद्र की आराधना के निमित्त रहता है। इस दिन भगवान देवराज इंद्र की पूजा आराधना की जाती है। उससे वह प्रसन्न होकर वह अच्छी बारिश करते हैं जैसा इंद्र देवता को वर्षा का देवता भी कहा जाता है। अच्छी बारिश होने पर अच्छी फसल होती है। और पशुओं को चारा भी प्राप्त मात्रा में मिलता है। इसीलिए सब लोग आज इंद्र देवता की पूजा अर्चना के लिए उत्सव मना रहे हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मां तब तो हमें देवराज इंद्र की नहीं अपितु गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि हमारे सभी गायों को चारा वहीं से मिलता है। तथा पर्वत के ऊपर उगे हुए पेड़ पौधों के कारण ही वर्षा भी होती है।
यह जानकर देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और मूसलाधार बारिश प्रारंभ कर दी। जिस कारण गोकुल वासी घबरा गए और सर्वत्र जल ही चल हो गया। तब सभी को भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की ओर चलने को कहा। वहां पर उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर सभी गोकुल वासियों की रक्षा की।
मान्यता अनुसार भगवान से इंद्र ने 7 दिनों तक लगातार बारिश की और 7 दिन तक भगवान श्री कृष्ण ने पर्वत को अपनी अंगूठी पर उठाकर खड़े रहे। और उन सभी गोकुल वासियों को पर्वत के नीचे सुरक्षित रखा। तब भगवान देवराज इंद्र का अहंकार प्राप्त हुआ और उन्होंने इसके लिए क्षमा याचना की।
यह भी पढ़े- नवम्बर मास के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार
उसी दिन से गोवर्धन पर्वत पूजा का प्रारंभ होता है। इसलिए इसको प्रकृति पूजा के नाम से भी जानते हैं। इसका प्रारंभ में भगवान श्री कृष्ण ने किया था।
आज के दिन बहुत सारे भक्तों गोकुल जाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा धार्मिक पुण्य अर्जित करते हैं।
श्रीगोवर्धन पूजा शुभ-मुहूर्त 5 नवम्बर 2021
- गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM
- अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
- गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM
- अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 11:14 PM बजे
श
प
प
यह भी पढ़े- विवाह में विलम्ब योग एवं उपाय
यह भी देखें- रावण कृत शिव ताण्डव स्तोत्र
यह भी देखें- श्रीदेव्यापराधक्षमापनस्तोत्र