दमा रोगियों के लिए वरदान है शरद पूर्णिमा :- वर्ष में वैसे तो पूर्णिमा प्रति मास आती है जिनका अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व रहता है। परंतु वर्ष की सभी पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा साक्षात दमा रोगियों के लिए एक औषधि के रूप में रहती है। जिसका आयुर्वेदिक दृष्टि से विशेष महत्त्व रहता है।इस दिन चंद्रमा की सुंदर छवि को देखने के लिए देवता भी पृथ्वी लोक पर आते हैं।
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दमा रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा एक वरदान है। इस दिन दमा रोगियों को चाहिए कि वे शुद्ध धातु के वर्तन में खीर बनाएं। उस खीर को पूरी रात चांद की किरणो में रखना चाहिए। फिर प्रातः काल उसका सेवन करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा का महत्त्व
शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि शरद पूर्णिमा के दिन लोगों को चंद्र किरणों का स्नान करना चाहिए। विशेष रुप से दमा रोगियों के लिए तो यह दिन अत्यंत विशिष्ट रहता है। क्योंकि वर्ष में एक बार ही शरद पूर्णिमा आती है।
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आयुर्वेदिक दृष्टि से शरद पूर्णिमा को चांदी के बर्तन में बनाई हुई खीर को पूरी रात चंद्र किरणों के बीच में रखा जाता है। प्रातः काल में इसका शुद्ध स्नान कर सेवन किया जाता है।
यह पूरी रात चंद्र किरणों में रहने के उपरांत एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में परिवर्तित हो जाती है। जो कि दमा रोगियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक मानी गई है। दमा रोगियों को इसका सेवन करने के उपरांत 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल भी चलना चाहिए।
जागरण करने पर लक्ष्मी माता होती है प्रश्न्न-
शरद पूर्णिमा के संबंध में एक और कथा प्रसिद्ध है कि जो शरद पूर्णिमा के दिन जागरण नहीं करता और अपने घर के दरवाजों को बंद रखता है लक्ष्मी उसके घर में प्रवेश नहीं करती है। शास्त्रों में वर्णित यह वृत्तांत हमें जागरूकता की दृष्टि से है कि हम भी उस रात्रि के चंद्रमा की किरणों का स्नान करें और उसमें बनाई हुई खीर का सेवन करें ताकि हम सभी स्वस्थ रह सकें।
औषधियों के लिए विशेष रात्रि होती है शरद पूर्णिमा
आयुर्वेदिक दृष्टि से यह शरद पूर्णिमा की रात्रि का अपना एक विशेष स्थान है। इस रात्रि को औषधियों में विशेष प्रकार का स्पंदन रहता है। जिससे औषधियों में विशेष रस आकर्षण होता है वरुण में अमृततुल्य शक्ति आ जाती है।
शरद पूर्णिमा के संबंध में वर्णन प्राप्त होता है कि लंकाधिपति भी शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्र किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण करता था जिससे वह पुनः युवा शक्ति को प्राप्त करता था। अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का महत्व शास्त्रों में विविध स्थानों में प्राप्त होता है।
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शरद पूर्णिमा का है वैज्ञानिक महत्व
शरद पूर्णिमा की रात्रि को बनाई हुई खीर का अपना एक वैज्ञानिक महत्व है। एक अध्ययन के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल एवं अमृत तुल्य पदार्थ की मात्रा अधिक रहती है। जो कि शरद पूर्णिमा के रात्रि को चंद्र की किरणों से और शक्तिशाली अर्थात चन्द्र किरणों को अधिक मात्रा में शोषित करने की क्षमता रखता है। दूध के साथ चावल का प्रयोग करने पर यह प्रक्रिया और अधिक सरल हो जाती है। अर्थात चंद्र किरणों से शक्ति का शोषण करने की प्रक्रिया और सरल हो जाती है। इन्हीं सब प्रकार की प्रक्रियाओं का ज्ञान हमारी प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा में ऋषि-मुनियों को था। जिसको उन्होंने शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्र किरणों से उसका स्नान करने के उपरांत करने का विधान बताया है।अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का अपना एक वैज्ञानिक महत्व है।
खीर का सेवन रहता है लाभप्रद
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का सेवन सबसे महत्वपूर्ण रहता है। परंतु बहुत से लोग हैं सामान्य सिल्वर आदि के बर्तनों में खीर बनाते हैं। जिसका विशेष लाभ नहीं मिल पाता। जैसा कि हम लोग जानते हैं चांदी को सबसे शुद्ध धातु माना गया है। शास्त्रों में भी चांदी के बर्तन में खीर बनाना सबसे ज्यादा लाभकारी है। चांदी का बर्तन भी ना हो तो सिल्वर आदि को छोड़कर दूसरे बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
चांदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक रहती है। और उससे विषाणु कीटाणु दूर रहते हैं। ध्यान रहे की खीर में हल्दी का प्रयोग ना करें। इस दिन खीर का सेवन करने से पहले व्यक्ति को कम से कम आधा से 1 घंटे तक शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा की किरणों का स्नान करना चाहिए। इसके लिए विशेष समय रात्रि के 10:00 से 12:00 के बीच रहता है।
शास्त्रों में भी कहा गया है- शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।। अर्थात शरीर की रक्षा करना ही सबसे पहला धर्म है। हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा तभी हम दूसरे काम भी कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा जैसा दिल साल भर में एक बार ही आता है। अतः इसका सदुपयोग हम औषधीय दृष्टि से अवश्य करें। विशेष रुप से दमा की समस्या वाले व्यक्ति अथवा कब खांसी आदि की समस्या का शिकार रहने वाले व्यक्तियों के लिए तो यह शरद पूर्णिमा अमृत्तुल्य है।
लोगों को चाहिए कि वह संपूर्ण रात्रि जागरण करें। खीर को चंद्र किरणों के लिए एक स्थान पर रखें और सुबह परिवार सहित इसका सेवन करें।
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सटीक एवं उपयोगी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।