शरद पूर्णिमा में खीर का है आयुर्वेदिक एवं वैज्ञानिक महत्व:- वैसे तो सामान्य रूप से हम लोग खीर का सेवन करते ही हैं। परंतु आज के दिन खीर का सेवन अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस शरद पूर्णिमा में निर्मित खीर का सेवन कर हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है। वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर चंद्र किरणों की वर्षा करता है। यह अपने आप में एक खगोलीय घटना रहती है। यह भी पढ़े- जानें, कब है शरद पूर्णिमा
भारतीय मान्यताओं के अनुसार आज के दिन से ही सर्दियों का प्रारंभ माना जाता है। इसलिए इसका नाम शरद पूर्णिमा भी है।
आयुर्वेदिक महत्त्व
भारतीय ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का प्रतीक माना गया है। अर्थात् चंद्रमा को मन का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना गया है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का मन पर सर्वाधिक प्रभाव रहता है। जो हमारी मानसिक क्रियाओं पर अपना सकारात्मक नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डालता है।
आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार चांद की किरणों में कई प्रकार के रोगों का इलाज करने की क्षमता रहती है। जो कि पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से रहता है। विशेष रूप से पेट को कम करने की क्षमता चंद्र किरणों में रहती है क्योंकि आयुर्वेदिक दृष्टि से अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस नजरिए से भी शरद पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है।
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शरद पूर्णिमा की किरणों को हम सीधा सीधा नेचुरोपैथी से जोड़ सकते हैं और इसका लाभ ले सकते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन विधि पूर्वक बनाई गई खीर का सेवन करने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। वर्तमान कोरोना जैसी समस्याओं से भी बचने में लाभ हो सकता है।
वैज्ञानिक महत्व
बरसात का मौसम समाप्त होने के बाद सर्दियों के मौसम का प्रारंभ रहता है। सर्दियों के प्रारंभ में पहली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से समझें तो शरद पूर्णिमा के बाद ठंड बढ़ना प्रारंभ हो जाती है। एस्ट्रोनॉमी विशेषज्ञों के अनुसार चंद्रमा अंधेरे में अधिक चमकता है। लेकिन चांद की अपनी कोई रोशनी नहीं होती है। वह सूर्य की किरणों की वजह से ही रात को चमकता हुआ दिखाई देता है। और वही सूर्य की किरणें जब चंद्रमा पर पड़ती है तो यह किरणें परावर्तित होकर जब पृथ्वी पर गिरती हैं तो इनका अपना एक अलग प्रभाव रहता है।
सूर्य की किरणें सीधी ना आकर चंद्रमा से परावर्तित होकर पृथ्वी पर गिरती है जिससे इनकी तीव्रता बहुत कम हो जाती है। यह किरणें हमें हानि न पहचानते हुए उल्टा हमें लाभ देने वाली हो जाती हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक चांदनी बरसाता है बिखरता है। जिसका अपना एक वैज्ञानिक महत्व रहता है।
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शरद पूर्णिमा में करें खीर का सेवन
शरद पूर्णिमा के दिन खीर सेवन का महत्व सर्वाधिक रहता है। खीर बनाने के बाद उसको चांदी आदि के बर्तन में रखकर उसमें किरणों की वर्षा रात भर होती रहे। तदोपरांत प्रातः काल भगवान को भोग लगाकर इसका सपरिवार सेवन करना चाहिए। यह खीर अपने आप में आयुर्वेदिक औषधि के रूप में मानी जाती है।
जिनको सांस, दमा, अस्थमा आदि की समस्या रहती है उनके लिए तो यह खीर और शरद पूर्णिमा की रात्रि सर्वाधिक लाभकारी मानी जाती है। इस दिन अस्थमा रोगियों को चंद्र किरणों का स्नान करना चाहिए और खीर का सेवन करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा में खीर सेवन के लाभ
- इस दिन बनाई हुई खीर के सेवन से सांस के रोगियों को ज्यादा फायदा रहता हैं।
- आंखों की रोशनी बेहतर बनी रहती है।
- जिन लोगों में पित्त दोष की वृद्धि रहती है उनके लिए शरद पूर्णिमा में निर्मित खीर का प्रयोग उनके पित्त दोष को कम करने वाला होता है।
- हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- एग्जिमा, गुस्सा आना, हाई ब्लड प्रेशर, शरीर से दुर्गंध इस प्रकार की अनेक समस्याओं का समाधान इस दिन चंद्र किरणों के स्नान और खीर के सेवन से कर सकते हैं।
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