संस्कृत सूक्तियाँ, भाग-6 | Sanskrit Suktiyan (Proverb) Part-6:- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है।
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संस्कृत सूक्तियाँ
संस्कृत का प्रचार-प्रसार अब वर्तमान तकनीकी युग में बहुत तेजी से बढ़ रहा। प्रचार का माध्यम चाहे संस्कृत शिविरों के माध्यम से हो रहा हो अथवा संस्कृत में हिन्दी गानों का अनुवाद कर उनका गायन कर हो रहा हो। सबका एक ही ध्येय है कि संस्कृत भाषा पुनः बोल चाल की भाषा बने। आज हम संस्कृत सूक्तियाँ, भाग-6 | Sanskrit Suktiyan (Proverb) Part-6 पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।
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सूक्तियाँ हिन्दी में | सूक्तियाँ संस्कृत में (सूक्तयः) |
ऊपर से पानी देना नीचे से जड़ काटना। | १. अन्तर्दुष्टः क्षमायुक्तः सर्वानर्थकरः किल। २. क्षालयन्नपि वृक्षाधि नदीवेगो निकृन्तति । |
एक अनार सौ बीमार । या एक बोटी सौ कुत्ते। | एकः कपोतपोतः श्येनाः शतशोऽभिधावन्ति । |
एक और एक ग्यारह होते हैं । या एकता में बड़ी शक्ति होती है। | १. संहतिः कार्यसाधिका । २. एकचित्ते द्वयोरेव किमसाध्यं भवेदिति । ३. समवायो दुरत्ययः । |
एक कहो दश सुनो। | गाल्या उत्तरं दश। |
एक कान से सुनना दूसरे से निकालना। | अवधानरहितं हि श्रवणं व्यर्थम् । |
एक चुप्प हजार को हरावे । | १. मौनं सर्वार्थसाधनम् । २. मौनं विश्वजिद् ध्र वम् । |
एक तो करेला कणुवा दूसरे नीम चढ़ा । | १. मर्कटस्य सुरापानं ततो वृश्चिकदंशनम् । २. अयमपरो गण्डस्योपरि स्फोटः । |
एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी। | अपराधित्वेऽपि धृष्टता। |
एक थैली के चट्टे-बट्टे । | दुष्टत्वे सर्वे समाः । |
एक पंथ दो काज । या एक पुण्य दूसरे फलियाँ। | एका क्रिया द्वयर्थकरी प्रसिद्धा । (महाभाष्ये) |
एक परहेज, न सौ हकीम । | पथ्यं भिशकशताद् वरम् । |
एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है। | एकेनैव कुपुत्रेण मलिनं जायते कुलम् । |
एक म्यान में दो तलवार नहीं समा सकतीं। | नैकस्मिन् कान्तारे सिंहयोर्वसतिः क्वचित् । |
एक ही लकड़ी से सबको हाँकना। | योग्यायोग्योविवेकाभावः । |
एक हाथ से ताली नहीं बजती। | १. न टेकेन हस्तेन तालिका सम्प्रपद्यते।(पञ्चतन्त्र ) २. नैकाकी कलहे क्षमः । |
संस्कृत सीखें के अन्तर्गत इस पाठ में हमने संस्कृत सूक्तियाँ, भाग-6 | Sanskrit Suktiyan (Proverb) Part-6 को जाना। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
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।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com