भौमप्रदोष व्रत से मंगल दोष का निवारणभौमप्रदोष व्रत से मंगल दोष का निवारण



भौमप्रदोष व्रत से मंगल दोष का निवारण:- आज 29 सितंबर 2020 को भौम प्रदोष व्रत है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। और आज त्रयोदशी तिथि है जो मंगलवार को पड़ रही है इसीलिए इसका नाम भौम प्रदोष व्रत रखा गया है। प्रदोष व्रत में विशेष रुप से भोलेनाथ शिव शंकर की पूजा आराधना की जाती है क्योंकि यह तिथि भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस बार यह प्रदोष व्रत अधिक मास में आ रहा है अतः इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

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मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। मंगलवार के दिन पढ़ने वाले प्रदोष व्रत को नियमानुसार करने से लोगों के मंगल दोष अर्थात मांगलिक दोष भी शांत होता है। क्योंकि इस दिन भोलेनाथ की पूजा आराधना के साथ साथ है हनुमान जी की भी उपासना की जाती है जिससे हमारी मंगल दोष संबंधित सभी समस्याएं समाप्त होती है।


क्या है प्रदोष काल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष व्रत में प्रदोषकाल अर्थात प्रदोषसमय का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष वाले दिन प्रदोष काल में ही भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना संपन्न होना आवश्यक रहता है। शास्त्रानुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से दो घड़ी अर्थात 48 मिनट तक रहता है। कुछ विद्वानों के अनुसार इसे सूर्यास्त से दो घड़ी पूर्व अर्थात 48 मिनट पूर्व व सूर्यास्त से दो घड़ी अर्थात 48 मिनट पश्चात तक भी मान्यता प्रदान करते हैं। परंतु अधिकतर विद्वानों के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से दो घड़ी अर्थात 48 मिनट तक ही माना गया है। अतः इस प्रकार भक्तजन प्रदोष काल का ज्ञान कर भोलेनाथ की शुभ समय में पूजा आराधना इत्यादि कर उन्हें प्रसन्न करते हुए अपने मंगल आदि दोषों का निवारण कर सकते हैं।

भौमप्रदोष व्रत में मंगल दोष के निवारण उपाय

  • भौंम प्रदोष के दिन सांयकाल को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाकर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
  • हनुमान जी के मंदिर जाकर उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाना चाहिए।
  • हलवा पुरी का प्रसाद गरीबों में बांटना चाहिए।
  • हनुमान जी के मंदिर जाकर सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • हनुमान जी के समक्ष उनके चरणों में बैठकर मंगल दोष की पीड़ा से मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
  • संभव हो तो हनुमान जी को लाल फूलों की माला चढ़ाएं उनके चरणों में दीपक जलाए और गुड़ आदि का भोग भी लगाएं।
  • गुड़ का भोग लगाकर सभी में बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें।
  • लाल वस्त्र धारण करें हनुमानजी की उपासना करें।

उपरोक्त सभी नियमों का प्रयोग करें भौम प्रदोष के दिन मंगल दोस्तों से विशेष रूप से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं

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भौमप्रदोष व्रत कथा

मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौमप्रदोष व्रत कहा जाता है। पौराणिक कथा अनुसार भौमप्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी कृपा होती है।

भौमप्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी कृपा होती है।

भौमप्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी कृपा होती है

इस की कथा इस प्रकार है- कि एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था. वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची।
हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गये और पुकारने लगे-है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?
पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।
हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे।
वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज.लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।
साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा।
यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।
वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई।
इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।
इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।
लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी।
हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।


इसीलिए इस व्रत को रखने पर हनुमान जी की विशेष कृपा होती है। और साथ ही मंगलदोषों का भी निवारण होता है।

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