शरीर अंगो के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। यह भी पढ़े- संस्कृत सीखें पाठ-15 | सब्जियों और मसालों के नाम संस्कृत में
भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज हम पाठ-16 में शरीर अंगो के नाम संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।
उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक
काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम् ॥
अर्थात् विद्यार्थी में यह पांच लक्षण होने चाहिए- कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद, अल्पाहारी (कम भोजन करने वाला), और गृह-त्यागी होना चाहिए।
पाठ-16
वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु षोड्श पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज शरीर अंगो के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं।
शरीर अंगो के नाम संस्कृत में
आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –
शरीर अंगो के नाम हिन्दी में | शरीर अंगो के नाम संस्कृत में |
अगूँठा अंडकोष आँख आँत उँगुली ओंठ ओंठ (नीचे वाला) कन्धा कन्धे की हड्डी कमर कलाई कलाई से कानी उँगुली तक कलेजा पाँव कान पीठ कोहनी पेट खाल पैर के जोड़ की हड्डी खून पैर की गिट्ठी गर्दन (गला) फेफड़ा गाल बाँह गुदा बाल गोवर बुद्धि घुटना भौं चपत मन चर्बो मल चारों उँगुलियाँ मसूड़ मास चूची माथा चूतड़ मुट्ठी चोटी मूत छाती मूंछ जाँघ योनि जिगर रज जीभ रीढ़ टुडढी लार ताली लिङ्ग वीर्य तोंद शरीर दाँत सफेद बाल दादी साबुन नस सिर नहरनी (नेल-कटर) स्तन हड्डी नाक हड्डी के भीतर की चर्बो नाखून हाथ नाड़ी पलक हथेली | अङ्गुष्ठः वृषणः लोचनम्, नेत्रम्, नयनम् अन्त्रम् अंगुलिः ओष्ठः अधरः स्कन्धः जत्रु (नपु.) ओणिः, कटिः मणिबन्धः करमः वृक्कम्, वृक्कः, हृद् पादः, अङघ्रिः, चरणः, चरणम् श्रोत्रम्, कर्णः पृष्ठम् कफोण: कुक्षिः, उदरम् चर्म (नपुं०), त्वक् (स्त्री०) गुल्फः रक्तम्, रुधिरम् गुल्फकः. गलः, ग्रीवा, कण्ठः फुप्फुसम् कपोलः बाहुः, भुजः (पुं०) अपानम्, मलद्वारम् शिरोरुहः, केशः गोमयः, शकृत् प्रज्ञा, मनीषा, धीः, बुद्धिः जानुः भ्रूः (स्त्री०) चपेटः चित्तम्, मनः, स्वान्तम्, हृद् वसा, वपा, मेदस विष्टा, मलम् तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा दमासम् आमिषम्, पिशितम्, मांसम् चूचुकम् ललाटम् नितम्बः मुष्टिः, मुष्टिका शिखा मूत्रम् उरः, वक्षः श्मश्रु ( नपुं०) जंघा, ऊरुः (पुं०) योनिः, भगः यकृत् रजः रसना, जिह्वा पृष्ठास्थि चिवुकम्, हनुः लाला करतलध्वनिः(पुं०) लिङ्गम्, शिश्नः, मेढ्रः शुक्रम् तुन्दम् गात्रम्, शरीरम् रदनः, दन्तः, दशनः पलितम् कूर्चम् फेनिलम् शिरा शीर्षम्, शिरः नखनिकृन्तनम् कुचः, स्तनः अस्थि, कीकसम् घ्राणम्, नासिका मज्जा कररुहः, नखः, नखम् करः, हस्तः, पाणिः नाडिः, स्नायुः (पुं०) पक्ष्मः (नपुं०) करतल:, तलम् |
यह संस्कृत सीखने का षोड्श पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें।
।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।
सौजन्य- sanskritduniya.com
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