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शृङ्गारिक वस्तुओं के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है। 

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संस्कृत का प्रचार-प्रसार अब वर्तमान तकनीकी युग में बहुत तेजी से बढ़ रहा। प्रचार का माध्यम चाहे संस्कृत शिविरों के माध्यम से हो रहा हो अथवा संस्कृत में हिन्दी गानों का अनुवाद कर उनका गायन कर हो रहा हो। सबका एक ही ध्येय है कि संस्कृत भाषा पुनः बोल चाल की भाषा बने। आज हम शृङ्गारिक वस्तुओं के नाम संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।

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शृङ्गारिक वस्तुओं के नाम हिन्दी मेंशृङ्गारिक वस्तुओं के नाम संस्कृत में
अँगुलीअङ्गुलीयकम्
अँगूठीमुद्रिका
आयना, शीशादर्पणः, मुकुरः, आदर्शः
इत्रगन्धतैलम्
उबटनउद्वर्तनम्
ओढ़ने की चाद्दरउत्तरीयांचलः
कंघीप्रसाधनी, कंकतिका
काजलअञ्जनम्, कज्जलम्
क्रीमशरः
ड्रेसिंग टेबिलशृङ्गारफलकम्
तिलकतिलकम्
दाँत कुरेदने की सूईदन्तशोधनी, सूची
दाँत का ब्रुशदन्तकूर्चः
नेल पालिशनखरंजनम्
पाउडरचूर्णकम्
बिन्दीबिन्दुः
ब्रुशरोममार्जनी
मंगल टीकाललाटिका
मंजनदन्तचूर्णम्
महावरअलक्तकः
मेंहदीमञ्जिष्ठा
रूजकपोलरंजनम्
लिपिस्टिकओष्ठरंजनम्
साबुनफेनिलम्, फेनकम्
सिंगारदानशृंगारधानम्, शृंगारपिटकम्
सिंदूर सिन्दूरम्
स्नोहैमम्

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संस्कृत सीखें के अन्तर्गत इस पाठ में हमने समय सूचक शब्द संस्कृत में जाना। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। 

उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक

माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।

अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम् ॥ 

अर्थात् जिसके घर में न माता हो और न स्त्री प्रियवादिनी हो , उसे वन में चले जाना चाहिए। क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं ।

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। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।

सौजन्य- sanskritduniya.com

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