माँ दुर्गा का सातवां अवतार है माँ कालरात्रि :- नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के अवतार कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के कष्ट और पापों से मुक्ति मिलती है तथा शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त होती है।
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माता के इस स्वरूप की भक्ति पूर्वक आराधना करने से कुंडली में पीड़ित ग्रह शांत होते हैं अतः आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक करनी चाहिए।
माँ कालरात्रि
माता के कालरात्रि विनाशक स्वरूप को शत्रु के नाश का स्वरूप माना जाता है। विधि विधान से की गई पूजा अर्चना से माँ कालरात्रि शीघ्र प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को अभय का वरदान प्रदान करती है। जिन लोगों को हमेशा अपने शत्रुओं का भय रहता है उनको माता के इस स्वरूप का विधि विधान पूर्वक मंत्र उच्चारण सहित पूजा पाठ कर आशीर्वाद मांगना चाहिए। मां के आशीर्वाद से वह अपने शत्रुओं से कहीं भी भयभीत नहीं होंगे।
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माँ कालरात्रि का स्वरूप
माता दुर्गा के इस स्वरुप को बहुत ही भयंकर स्वरूप माना गया है यह स्वरूप माता का श्याम वर्ण का होता है तथा माता के बाल बिखरे हुए होते हैं। माता इस स्वरूप में गधे की सवारी करती हुई अपने दो हाथों में गंडासा और खड़क लिए हुए तथा अन्य दोनों हाथों से अभय प्रदान करने की मुद्रा तथा वर मुद्रा में होती है। यद्यपि यह माता का डरावना स्वरूप होता है परन्तु भक्तगणों को इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि माता अपने भक्तों को अभय का आशिर्वाद प्रदान करती है।
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माँ कालरात्रि की पूजा पाठ विधि
धर्म शास्त्रों के अनुसार मां भगवती की पूजा अर्चना करने से पहले कलश का पूजा पाठ करना चाहिए। उसके उपरांत नवग्रह दशदिक्पाल कुलदेवी तथा अन्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। तदोपरांत मां कालरात्रि की पूजा पाठ करना चाहिए। माता की मूर्ति के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाकर रोली अक्षत पुष्प शर्करा आदि से पूजा पाठ करना चाहिए। मां कालरात्रि अर्थात मां काली का ध्यान मंत्र उच्चारण के साथ करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है माता को भोग के रूप में मधु एवं गुड़ का मिश्रित भोग लगाना चाहिए।
मां कालरात्रि की आराधना के विशेष मंत्र
देवी कालरात्रि स्तुति–
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
मां कालरात्रि का महात्म्य
माता दुर्गा के सातवें अवतार कालरात्रि के महत्म्य का वर्णन दुर्गा सप्तशती में बहुत से स्थानों में प्राप्त होता है। माता का यह स्वरूप भक्तों को अभय देने वाला तथा कई प्रकार के भयों से कष्टों से और शोकों से मुक्ति देने वाला होता है। अतः भक्तजनों को चाहिए कि वह माता कालरात्रि का पूजा पाठ अनुष्ठान शुद्ध सात्विक होकर पूर्ण श्रद्धा पूर्वक करें।
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