आज से खरमास प्रारंभ : 14 जनवरी 2021 तक विवाह गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित :-हिंदू संस्कृति में तो वैसे पर्व और त्योहारों का मुख्य आकर्षण रहता है। परंतु संपूर्ण वर्ष भर में भारतीय शास्त्र परंपरा अनुसार बहुत सारे मांगलिक कार्य करना वर्जित रहते हैं। जैसे विवाह यज्ञोपवीत संस्कार गृहप्रवेश जैसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य विशेष रूप से वर्जित रहते हैं। आइए आज के लेख में हम यह जानेंगे कि खरमास में क्या-क्या मांगलिक कार्य हैं जो वर्जित रहते हैं और वह कौन-कौन से कार्य हैं जिनको किया जा सकता है।
इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से खरमास का प्रारंभ हो रहा है। कुछ पंचांग के अनुसार खरमास का प्रारंभ पिछले दिन से ही अर्थात 15 दिसंबर से ही प्रारंभ माना जा रहा है वही कुछ विशेष पंचांग की मान्यता अनुसार आज 16 दिसंबर 2020 से खरमास का प्रारंभ हो रहा है। जिसे मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित मास भी कहा जाता है।
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क्या है खरमास ?
खरमास का प्रारंभ सूर्य का धनु राशि में प्रवेश होने पर होता है। इस वर्ष यह खरमास 16 दिसंबर 2020 को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को प्रारंभ हो रहा है। जोकि 14 जनवरी तक रहने वाला है। अर्थात हम यूं कह सकते हैं कि 16 दिसंबर 2020 से लेकर 14 जनवरी 2021 तक विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। परंतु साथ ही कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिनको खरमास में किया जा सकता है जैसे- जमीन का खरीदना , मकान का खरीदना, वाहन का खरीदनाआदि।
खरमास में वाहन मकान जमीन आदि खरीदने के शुभ मुहूर्त
वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त
18 दिसम्बर 2020, शुक्रवार
20 दिसम्बर 2020, रविवार
27 दिसम्बर 2020, रविवार
30 दिसम्बर 2020, बुधवार
01 जनवरी 2021 शुक्रवार
06 जनवरी 2021 बुधवार
08 जनवरी 2021 शुक्रवार
भूमि खरीदने के शुभ मुहूर्त
31 दिसम्बर 2020, गुरुवार
03 जनवरी 2021, रविवार
04 जनवरी 2021, सोमवार
08 जनवरी 2021, शुक्रवार
09 जनवरी 2021 शनिवार
12 जनवरी 2021, मंगलवार
व्यापार शुरू करने के शुभ मुहूर्त
17 दिसम्बर 2020, गुरुवार
24 दिसम्बर 2020, गुरुवार
27 दिसम्बर 2020, रविवार
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खर मास में खरीदारी के लिए विशेष जानकारी
कब समाप्त होगा खरमास
यह वर्जित मास 16 दिसंबर 2020 से प्रारंभ होकर 14 जनवरी 2021 को मकर सक्रांति पर समाप्त होगा अर्थात जब सूर्यमें प्रवेश करेगा तब यह खरमास समाप्त होगा। खरमास के समाप्त होते ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों का प्रारंभ हो जाता है जैसे विवाह यज्ञोपवीत संस्कार आदि।
इस मास के समाप्त होते ही अर्थात सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने पर उस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तथा दान पुण्य आदि कार्य संपन्न करते हैं। इसी दिन से उत्तरायण का भी प्रारंभ होता है।
खरमास में क्या करना चाहिए
- इस मास में विशेष रूप से सूर्य की उपासना के ऊपर बल दिया गया है। सूर्य की उपासना कर हम अपने अंदर की शक्ति को जागृत कर सकते हैं।
- खरमास में विशेष रुप से दान जप तप आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिसका शास्त्रों में बहुत उत्तम फल बताया गया है।
- वर्जित मास में ब्राह्मण गाय गुरु तथा साधु-संतों आदमियों की विशेष रूप से सेवा करना कल्याणकारी रहता है।
- इस मास में तीर्थ यात्राओं का भी विशेष रूप से महत्व रहता है इसके अलावा इस मास में श्रीमद्भगवद्गीता राम कथा विष्णु आदि का पूजन शुभ बताया गया है।
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