संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day – भूमिका – संस्कृत दिवस मनाने का मुख्य विचार लोगों में संस्कृत के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। आम आदमी और युवाओं को संस्कृत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा से अवगत कराना। यह वह भाषा है जो लोगों को मूल वेदों के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों को मूल देवनागरी या संस्कृत भाषा में पढ़ने का मौका दे सकती है जिसमें यह लिखा गया है। संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है देवों द्वारा बोली जाने वाली भाषा। यह सबसे पुरानी इंडो-यूरोपीय भाषाओं में से एक है। संस्कृत के वर्तमान स्वरूप का पता दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से लगाया जा सकता है।
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संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day
संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day- संस्कृत दिवस प्राचीन भारतीय भाषा को जागरूकता फैलाने बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन अनिवार्य रूप से सीखने और इसे जानने के महत्व की बात करता है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। और भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहली है। देश की प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का मुख्य स्थान हैं। संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day संस्कृत भाषा को सभी आधुनिक भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता हैं। इसी से दूसरी अन्य भाषाओं का जन्म माना जाता हैं। भारतीय संस्कृति का आधार कही जाने वाली यह मातृभाषा हमारे सविधान द्वारा सूचीबद्ध 22 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक हैं। संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day. संस्कृत दिवस का महत्व | Importance of Sanskrit Day
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संस्कृतभाषा का शिक्षाक्षेत्र मे सहभागिता | Participation of Sanskrit language in the field of education
संस्कृतभाषा का शिक्षाक्षेत्र मे सहभागिता | Participation of Sanskrit language in the field of education- संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है. संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है. यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है. भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है, और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
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संस्कृत दिवस कि उपयोगीता | Usefulness of Sanskrit Day
22 अगस्त को विश्व संस्कृत दिवस है। यह दिन प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हमारी संस्कृति में संस्कृत भाषा के प्राचीनतम भाषा होने की वजह से यह दिन मनाया जाता है। हमारी धार्मिक संस्कृति में इसे देव भाषा कहा जाता है। संस्कृत लगभग सभी वेदों और पुराणों की भाषा है। इसलिए संस्कृत भाषा के प्रति लोग आदर का भाव रखते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथ और मंत्र अधिकतर इसी भाषा में वर्णित है। श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला संस्कृत दिवस अपने आप में बहुत अनूठा दिन है। क्योंकि किसी भी अन्य प्राचीन भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार नहीं मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि भारतीय धर्म संस्कृति ने संस्कृत को ‘देव भाषा’ का दर्जा दिया गया है। बावजूद इसके यह भाषा अब अपना वजूद खोती जा रही है। अब भारत में भी विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण संस्कृत को पढ़ने वाले, लिखने वाले और समझने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसलिए भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत की महत्ता और आवश्यकता को याद दिलाने और जनमानस में इसका महत्व बढ़ाने के लिए संस्कृत दिवस एवं एवं संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है। इस दिन सम्पूर्ण भारत में यथा सम्भव सभी संस्कृत प्रेमी संस्कृत भाषा के सम्वर्धन में अपना अपना योगदान देते है। जिससे की संस्कृत भाषा पुनः एक बार जन भाषा के रूप में प्रयोग होने लगे।
संस्कृत दिवस की प्राचीनता | Antiquity of Sanskrit Day
श्रावणी पूर्णिमा अथवा रक्षाबंधन पर ऋषियों-मुनियों के स्मरण करने तथा उनका पूजन करके समर्पण का भाव रखा जाता है और हमारे ऋषि-मुनि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, अत: श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इसे ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।इस दिन को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश सन् 1969 में जारी किया गया था। तभी से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस को श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसके लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन चुनने का कारण हमारे प्राचीन भारत में इसी दिन शिक्षण सत्र शुरू करने तथा वेद पाठ का शुभारंभ होता था और विद्यार्थी भी इसी दिन से शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे।
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संस्कृत दिवस 12 अगस्त, 2022 को | Sanskrit Day on August 12, 2022
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इस भाषा को देववाणी के समान प्रतिष्ठित माना गया है । कर्णप्रिय ध्वनि तथा वैभवशाली शब्दों का समागम संस्कृत भाषा को भारत में ही नहीं, अपितु विश्व भर में इसे आदरणीय बनाता है। इस बार 2022 में संस्कृदिवस की तिथि 12 अगस्त को है। श्रावण पूर्णिमा का दिन इसीलिए चुना गया है क्योंकि प्राचीन काल में इसी दिन से शिक्षण सत्र की शुरुआत की जाती थी। इस प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डाल कर सरकार ने संस्कृत ओर संस्कृति के महत्व को दर्शाया है।
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संस्कृत दिवस संस्कृत भाषा के महत्व को मनाने के लिए मनाया जताहै। संस्कृत समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। यह हिन्दू धर्म की पवित्र भाषा है जिसका उपयोग बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म के साथ साथ हिन्दू धर्म के दार्शनिक प्रवचनों के लिए भी किया जाता था। संस्कृत दिवस परंपरिका हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
संस्कृत भाषा यह भाषा है जो लोगों को मूल वेदों के साथ साथ कोई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों को मूल देवनागरी या संस्कृत भाषा में पढ़ने का मौका दे सकती है जिसमे यह लिखा गया है। संस्कृत को देव भाषा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है देवों द्वारा बोली जाने बाली भाषा। जैसे की हम जानते हैं कि हिन्दू संस्कृति में पूजा और मंत्र का उच्चारण संस्कृत में किया जाता है।
माना जाता है की संस्कृत भाषा की उत्पत्ति लगभग 3500 साल पहले भारत में हुई थी। संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य इसके पुनरूधार और रखरखाव को बढ़ावा देना है। संस्कृत भाषा में लगभग 102 अरब 78 करोड 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है।
सौजन्य- केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय वेदव्यास परिसर, शिक्षाशास्त्री द्वितीय वर्ष (सत्र-2022-2023) के छात्राध्यापक- करुण कुमार, अन्जु चन्देल, यश शर्मा, अंजली, रघुवीर ।
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जन्मदिन की बधाई संस्कृत में | Birthday wishes message in sanskrit
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