हिमाचल प्रदेश बिलासपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल | Famous tourist places of Bilaspur Himachal Pradesh: बिलासपुर हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से एक बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक जिला है। बिलासपुर शहर चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे 21 में आता है। यह शहर सतलुज नदी पर बनी गोविंद सागर झील के किनारे बसा हुआ बहुत ही सुंदर और व्यवस्थित हिल स्टेशन है। इस शहर की तलहटी पर गोविंद सागर झील का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहां पर पर्यटक वाटर स्पोर्ट्स और फिशिंग जैसे खेलों का आनंद लेते हैं। इसी झील पर प्रसिद्ध भाखड़ा बान्ध बना हुआ है। बिलासपुर शहर में गोविन्द सागर झील के किनारे बहुत सुन्दर क्रिकेट स्टेडियम तथा खेल प्रांगण स्थित है जिसका नजारा देखते ही बनता है।
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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में कई ऐसे पर्यटन स्थल तथा धार्मिक स्थल है जहां पर्यटक अक्सर घूमने आते रहते हैं। बिलासपुर जिले में माता श्री नैना देवी का मन्दिर, भाखड़ा बान्ध, नाहर सिंह का मन्दिर, रूक्मणि कुण्ड, मार्कण्डेय तीर्थ स्थल आदि प्रमुख रूप से प्रसिद्ध हैं।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में घुमने आने वाले पर्यटकों को यहां के प्रसिद्ध पर्यटन तथा धार्मिक स्थानों के बारे में स्टीक जानकारी प्राप्त हो इसी उद्देश्य से आज के लेख को लिखा गया है। आइए आज के लेख में हम हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला की दर्शनीय स्थलों को जानने का प्रयास करते हैं-
भाखड़ा बान्ध पर्यटन स्थल | Bhakra Bandh
भारत का सबसे बड़ा बांध भाखड़ा बान्ध है जो कि बिलासपुर जिले में स्थित है। यह बांध दुनिया का सबसे बड़ा गुरुत्वाकर्षण बांध है। यह बांध सतलुज नदी पर बना है। इस बांध की ऊंचाई लगभग 226 मीटर है। इसकी चौड़ाई 191 मीटर है। इस हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण 1963 में 1325 MW की उत्पादन क्षमता के साथ किया गया था। इस बांध को बनाने में कुल लागत लगभग 245 करोड़ है।इस बांध के निर्माण से ही गोविंद सागर झील का निर्माण हुआ है और यह गोविंद सागर झील और भाखड़ा डैम देश-विदेश के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। 9.34 अरब घन मीटर तक पानी सुरक्षित करता है। वर्तमान में लगभग 2900 मेगावाट बिजली पैदा करता है।
भाखड़ा नंगल डैम चंडीगढ़ से लगभग 115 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। पर्यटक यहां घूमने के लिए अपने वाहन अथवा टैक्सी रेल यान और बस यान का भी प्रयोग कर सकते हैं। यह पर्यटन स्थल बहुत ही रमणीय और आकर्षक है लोग यहां पर दूर-दूर से अपने परिवारों के साथ अक्सर घूमने आते जाते रहते हैं।
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माता श्री नैना देवी मंदिर | Mata Sri Naina Devi Temple
श्री नैना देवी जी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में स्थित है। यह मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पुराणों की मान्यता के अनुसार मां भगवती सती के अंग जब पृथ्वी पर गिर रहे थे तब उक्त स्थान पर मां सती के नैन अर्थात आंखें यहां गिरी थी। जिस कारण इस शक्तिपीठ का नाम नैना देवी पड़ा। माता के दर्शन करने के लिए तीर्थयात्री यहां वर्ष भर आते रहते हैं। विशेष रुप से चित्र तथा अश्विन मास के नवरात्रों में भक्तों की यहां विशेष रूप से चहल-पहल देखी जाती है।
श्री नैना देवी पहुंचने के लिए अपने वाहन का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही निकटतम रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब तक रेल मार्ग से आया जा सकता है। चंडीगढ़ से माता श्री नैना देवी की दूरी लगभग 100 किलोमीटर के आसपास तथा बिलासपुर शहर से 85 किलोमीटर की है। हवाई जहाज से आने वाली यात्री चंडीगढ़ तक आ सकते हैं। वहां से टैक्सी अथवा कार के माध्यम से यात्रा की जा सकती है।
रुक्मणी कुंड | Rukmani kund
रुक्मणी कुंड बिलासपुर जिले का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल माना जाता है। यह स्थान बिलासपुर शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर औहर नामक गांव के समीप है। यह तीर्थ स्थल रुकमणी देवी के त्याग और बलिदान के लिए जाना जाता है। इस स्थल पर रुकमणी देवी ने लोगों के कल्याण हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
यह जल का कुण्ड और नमक गांव से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर वरिष्ठ नाम की पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है। मान्यता है कि जो निसंतान स्त्री इस जल स्रोत में इस कुंड में स्नान करके अपने सिर के परांदे को वहां स्थित विशेष प्रकार की घास जिसे पहाड़ी भाषा में बगड़ कहा जाता है उससे बांध कर मन्नत मांगती है। ऐसा करने पर अवश्य ही उसको संतान की प्राप्ति होती है।
बाबा नाहर सिंह धौलरा मंदिर | Baba Nahar Singh Dholra Temple
नाहर सिंह मंदिर बिलासपुर जिला में महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बिलासपुर शहर के समीप धौलरा नामक स्थान पर स्थित है। मंदिर के सामने सतलुज नदी कल कल करती हुई बहती है। बाबा नाहर सिंह जी की पूजा अर्चना पूरे बिलासपुर शहर के लोगों द्वारा की जाती है।
मंदिर में श्रद्धालु विशेष रूप से मंगलवार तथा शनिवार के दिन आते हैं। इस मंदिर में नरसिंह देव की प्रतीक उनकी चरण पादुका अर्थात् खड़ाऊ की पूजा आराधना की जाती है।
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मारकंडेय तीर्थ स्थल | Markandey Tirth Sthal
मार्कंडेय तीर्थ स्थल बिलासपुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर जो खाला नामक कस्बे के समीप स्थित है। इस स्थान का संबंध साक्षात ऋषि मार्कंडेय जी से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस स्थान का नाम मार्कण्डेय पड़ा।
मान्यता है कि मार्कण्डेय जी ने यहीं पर तपस्या कर भगवान शिव से अपने लिए अभय अमरत्व प्राप्त किया था। इसलिए उस स्थान पर एक झरना फूट पड़ा। जहां पर लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करते हैं। विशेष रूप से वैशाखी के दिन यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि चार धाम की यात्रा करने पर मार्कंडेय जी में स्नान करना अनिवार्य रहता है। ऐसा न करने पर चार धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
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