जाने क्यों मनाते हैं दीपावली, क्या है इसका अर्थ एवं महत्व :- हमारे हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली। जिसे सभी लोग हर्षोल्लास एवं प्रसन्नता के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों की साफ सफाई करके दीपक और अनेकानेक लाइटों से अपने घर को सजाते हैं। दीपावली की रात अमावस्या की रात होती है अतः उस दिन दीपक को और लाइटों से जगमगाते घर सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर क्या आपको पता है की दीपावली क्यों मनाते हैं और क्या है इसका अर्थ एवं महत्व। तो आइए आज इस लेख में हम दीपावली क्यों मनाते हैं और इसके अर्थ एवं महत्व को जानने का प्रयास करते हैं।
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दीपावली का क्या अर्थ है?
दीपावली का अर्थ है दीपों की आवली। अर्थात दीपकों की पंक्ति। दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप तथा आवली । दीप का अर्थ तो हम जानते ही हैं दीपक। आवली का अर्थ हुआ पंक्ति। इन दो शब्दों का जोड़कर अर्थ हुआ दीपों की पंक्ति। इसी कारण आज के दिन लोग दीपक खरीद कर अपने घरों में दीपकों की पंक्तियां बनाकर दीप जलाते हैं। और प्रसन्नता पूर्वक दीपावली का आयोजन करते हैं। दीपावली के दिन लोग नए-नए और सुंदर-सुंदर कपड़े पहन कर एक दूसरे को मिठाई एवं उपहार देकर अपने गिले-शिकवे दूर कर भाईचारे का परियचय देते हैं।
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क्यों मनाते हैं दीपावली
दीपावली के संबंध में एक सामान्य बात तो यह है कि इस रात को अमावस्या की रात होती है। अर्थात पूर्ण रूप से अंधकार। अतः अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला यह दीपावली पर्व रहता है। भारत जैसे विशाल देश में पर्व एवं त्योहारों की एक समानता तो नहीं रहती परंतु तब भी हम लोग अनेकता में एकता की बात को अवश्य स्वीकार करते हैं।
इसी अनेकता में एकता के विषय को जब ध्यान से देखते हैं तो दीपावली मनाने का एक नहीं अनेक कारण ध्यान में आते हैं। जिनमें सर्वमान्य दीपावली मनाने का कारण त्रेता युग में भगवान श्री राम जी का 14 वर्ष के वनवास के उपरांत अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों द्वारा खुशी में घी के दीपक जला कर उनका स्वागत करना था । उसी क्रम को हम सभी हिंदू आज भी उस खुशी के निमित्त प्रभू श्रीराम के आदर्शों पर चलने का प्रयास करते हैं।
आइए जानते हैं और भी ऐसे क्या-क्या विषय है कि दीपावली का आयोजन आज के दिन होता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी अयोध्या लौटे थे
आज के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे। उनके अयोध्या लौटने की खुशी में लोगों ने घी के दीपक जला कर अपनी खुशी प्रकट की थी। भगवान श्री राम अपने आदर्शों के कारण आज भी हिंदू धर्म में सर्वमान्य हैं। अतः उनके वनवास काटकर अयोध्या आगमन के दिन को आज भी उसी प्रसन्नता के साथ लोग जगमग दीपकों और पूजा-पाठ आदि प्रकार से मनाते हैं।
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हिरण्यकश्यप और नरकासुर का वध
आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध किया था। इसी कारण लोगों ने दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की थी ।
आज के दिन हुआ था स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास
सिख संप्रदाय के लिए भी दीपावली का यह दिन बहुत महत्वपूर्ण रहता है। आज के दिन ही अमृतसर में 1577 ईस्वी में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। यह दिन सिख संप्रदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण एवं प्रसन्नता का रहता है।
अन्य कारण दीपोत्सव मनाने के
- संस्कृत ग्रंथों में सातवीं शताब्दी में रचित संस्कृत नाटक नागानंद में राजा हर्ष ने इस दीपावली उत्सव को दी प्रति पाद उत्सव कहां है जिसमें दीपक जलाए जाते हैं और न दुल्हन और दूल्हे को उपहार दिए जाते थे।
- इसी इतिहास क्रम में फारसी यात्री और इतिहासकार अलबरूनी ने भारत की यात्रा करते हुए 11 वीं सदी के संस्मरण में दीपावली को कार्तिक मास में नए चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार बताया था।
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