छठ पूजाछठ पूजा

छठ पूजा 10 नवम्बर 2021 को । जानें कैसे करें छठ पूजा तथा इसका पौराणिक महत्व । Chhath puja :- दिपावली महापर्व के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संपूर्ण भारत वर्ष में षष्ठी पूजा का पर्व आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इन पर्व एवं त्योहार आदि के कारण ही इस भारत भूमि को पुण्यभूमि कहा गया है।

छठ पूजा

इस महापर्व को डाला छठ अथवा छठी मैया के व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

छठ पूजा महापर्व के शुभ मुहूर्त

छठ पूजा- 10 नवंबर 2021, बुधवार

  • सांयकाल में डूबते सूर्य की पूजा अर्थात् संध्या अर्घ्य दिया जायेगा।
  • 10 नवंबर, 2021 को  (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय- 5 बजकर 30 मिनट

छठ पूजा केवल सूर्य देव की पूजा अर्चना का पर्व नहीं है अपितु उनकी दोनों पत्नियां प्रत्यूषा और उषा की उपासना का भी पर्व है।

सूर्य देव की आराधना का यह पर्व नहाए खाए तथा खरना के साथ प्रारंभ हो चुका है। आइए आज के लेख में जानते हैं कि छठ पूजा की कैसे करें एवं इसका पौराणिक इतिहास क्या है?

यह भी पढ़े- छठ पूजा का प्रारंभ नहाए खाए के साथ आज से

कैसे करें छठ पूजा

नहाए खाए और खरना के उपरांत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य देव की आराधना के निमित्त सूर्य षष्ठी पूजा के लिए देसी घी का प्रसाद तैयार किया जाता है। साथ ही अनेक प्रकार के फल हल्दी आमला नारियल अदरक इन सब का प्रयोग प्रसाद में किया जाता है। इन सभी पदार्थों का फलों का प्रसाद बांस से बनी हुई डालि अथवा पीतल के बड़े खुले परात में रखकर नदी अथवा बहते हुए पानी तालाब नहर के किनारे ले जाया जाता है। इन सभी चीजों के साथ साथ बांस की बनी हुई सूप का भी प्रयोग किया जाता है। सभी सामग्री को व्रत किए हुए लोग सूर्यास्त होते सूर्य को घाट के किनारे नदी के किनारे अथवा तालाब के किनारे अर्घ्य देते हैं। संपूर्ण प्रसाद को सूर्य को समर्पित करते हैं।

छठ पूजा की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया सामूहिक रूप से घाटों अथवा नदी के किनारे पर चलती है। सभी लोग सामूहिक रूप में सूर्य देव की पूजा हर्षोल्लास और प्रसन्नता के साथ उक्त विधि को संपन्न करते हैं।

सूर्य अस्त होने के उपरांत ही सभी लोग अपने अपने घरों को लौटते हैं। मुख्य रूप से इस व्रत का आयोजन बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड आदि राज्यों में रहता है।

इसी क्रम में अग्रिम दिन प्रातः काल सूर्योदय के समय अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पुनः उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह सूर्योदय अर्थ उसी स्थान तथा उन्हें पूजा के सभी चीजों के साथ होता है। उसके बाद ही लोग अपने अपने स्थानों की ओर लौटते है। तथा अपने गांव में जाकर पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करते हैं और व्रत का पारायण करते हैं। इस व्रत में मुख्य रूप सेस जिन लोगों ने व्रत किया हुआ होता है वह लोग सात्विक रहते हुए भूमि सैया का ही प्रयोग करते हैं अर्थात भूमि पर ही सोते हैं। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से नए वस्त्र साड़ी आदि पहनते हैं तथा पुरुष शुद्ध सात्विक धोती कुर्ता पजामा पहनते हैं। इस व्रत को संपूर्ण भारत में पुरुष और स्त्री दोनों रखते हैं

छठ पूजा का पौराणिक महत्व


पुराण इतिहास में छठ पूजा का अधिक महत्व वर्णित है। वैसे तो वेद काल की चर्चा करें तो वैदिक काल में अथवा वैदिक मंत्रों में सूर्य उपासना की चर्चा अनेक अनेक स्थानों में प्राप्त होती है। विश्व की सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में सूर्य उपासना का वर्णन विशेष रूप से मिलता है। साथ ही विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि ग्रंथों में भी सूर्य उपासना की चर्चा प्राप्त होती है।

रामायण काल में छठ पूजा


रामायण काल में माता सीता द्वारा भी छठ पूजा व्रत का पारायण किया गया था जय श्री राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे उसके बाद माता सीता तथा भगवान श्रीराम ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य देव की आराधना कर व्रत का पारायण किया था इसका वर्णन आनंद रामायण में प्राप्त होता है।

महाभारत काल में छठ पूजा

सूर्य देव की उपासना के संबंध में महाभारत काल में भी जरासंध नरेश के पूर्वजों द्वारा किया गया। छठ पूजा व्रत तथा भगवान श्री कृष्ण के पौत्र सांबा को कुष्ठ रोग की मुक्ति हेतु सूर्य देव की विशिष्ट उपासना का वर्णन भी प्राप्त होता है।
महाभारत काल में द्रोपदी द्वारा की गई सूर्य उपासना के वर्णन से तो सब परिचित ही है। द्रोपती द्वारा सूर्य देव की पूजा अर्चना कर करण जैसे पराक्रमी पुत्र को वरदान के रूप में प्राप्त किया था।
विवाह उपरांत द्रोपदी को जब युधिष्ठिर ने जुए में हार दिया था। तब राज्य की प्राप्ति के लिए द्रोपदी ने पुनः सूर्य देव की उपासना की थी। इस प्रकार के अनेकानेक वर्णन सूर्य देव की उपासना के पुराणों में प्राप्त होते हैं।

यह भी पढ़े- जन्मकुण्डली से मांगलिक दोष विचार 

यह भी पढ़े- जन्मकुण्डली से जानें संतान प्राप्ति के योग

One thought on “छठ पूजा 10 नवम्बर 2021 को । जानें कैसे करें छठ पूजा तथा इसका पौराणिक महत्व । Chhath puja”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *