व्यापार वृद्धि के लिए वास्तुव्यापार वृद्धि के लिए वास्तु

व्यापार वृद्धि के लिए वास्तु टिप्स :- भारतीय वास्तु शास्त्र में आदिकाल से ही हिंदू धर्म ग्रंथों में चुंबकीय प्रभाव दिशाओं गुरुत्वाकर्षण वायु प्रवाह का प्रभाव अनेक नियमों को ध्यान में रखते हुए इसकी रचना कर मनुष्य के जीवन में सुख शांति एवं धन-धान्य की वृद्धि के लिए किया गया।
वास्तु शास्त्र वस्तुत तथा पृथ्वी जल अग्नि वायु आकाश 5 शब्दों का समानुपातिक अर्थात बराबर सम्मिश्रण का ही नाम है। वास्तु शास्त्र में एनर्जी अर्थात ऊर्जा को आधार बनाया गया है क्योंकि उपरोक्त पंच तत्वों के सम्मिश्रण से बायोइलेक्ट्रिक मैग्नेटिक एनर्जी की उत्पत्ति होती है जो मनुष्य को उत्तम स्वास्थ्य लाभ एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति कराता है।


इस पृथ्वी पर ऐसा कौन सा मनुष्य होगा जो यह नहीं चाहता कि उसका घर है सुंदर और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला हो। अपने घर को सुंदर एवं सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनाने हेतु वास्तु शास्त्र सबसे ज्यादा उपयोगी सिद्ध है। पृथ्वी पर उपलब्ध प्रत्येक पदार्थ व्यक्ति को प्रभावित करते रहते हैं चाहे वह मकान हो पत्थर हो पेड़ पौधे हो या वायु हो इन सब का प्रभाव व्यक्ति पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों दृष्टि से पड़ता है।वास्तु हमें यही सिखाता है कि किस प्रकार हम नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर अपने जीवन को चरितार्थ करें।


व्यापार क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति किस प्रकार वास्तु शास्त्र का सकारात्मक प्रयोग करते हुए अपने व्यापार में दिन दुगनी चार चौगुनी तरक्की कैसे कर सकते हैं इन सब विषयों का उत्तर केवल और केवल वास्तु शास्त्र में ही प्राप्त होता है।बहुत से लोग व्यापार के लिए बहुत मेहनत करते हैं दिन रात एक कर देते हैं परंतु उनका व्यापार चल नहीं पाता उनके व्यापार और कारोबार में कोई न कोई समस्या आती रहती है अड़चनें आती रहती है।व्यक्ति इतनी मेहनत कर रहा है और फिर भी व्यापार में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहा है।

व्यापार वास्तु सम्बन्धि सभी समस्याओं से मुक्त होने के लिए वास्तु के बारे में चिंतन करना चाहिए कि उसके कारोबार का स्थल दुकान ऑफिस या फैक्ट्री आदि का वास्तु कहीं गड़बड़ तो नहीं है। अपने कार्यस्थल के वास्तु को ठीक करने के लिए आज महत्वपूर्ण व्यापार वास्तु को बताया जा रहा है जिसका उपयोग कर आप अपने कारोबार में वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

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व्यापार का स्थान


व्यापार का जो स्थान होता है उसकी दिशा का निर्धारण वास्तु के अनुसार है करना अति आवश्यक है क्योंकि वास्तुतः वास्तु में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। उदाहरण के लिए मनोरंजन से संबंधित कार्य करने वाले कारोबारी लोगों को चाहिए कि वह उत्तर-पूर्व स्थान को अपने कार्यस्थल के रूप में चयनित करें। यह उनके कार्य के लिए फलदाई सिद्ध होता है।

खाने-पीने का कारोबार करने वालों के लिए पश्चिम दिशा उत्तम मानी गई है। महिलाओं के वस्त्रों से संबंधित कार्य हेतु दक्षिण पूर्व की तरफ वाले स्थान वास्तु के अनुसार ज्यादा अच्छे माने गए हैं। हम वास्तु विशेषज्ञ से अपने कार्यस्थल की दिशा का चयन करवा सकते हैं। और व्यापार में लाभ ले सकते हैं।।

बैठने का स्थान


दुकानदार व्यापारी अथवा कारोबारी का स्थान ऐसा होना चाहिए कि बैठते समय उसका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो ।अगर यह संभव नहीं हो पा रहा है तो पश्चिम दिशा की ओर भी मुंह किया जा सकता है। ध्यान दें कि दक्षिण दिशा की ओर अपना मुंह कर अपनी कुर्सी का प्रयोग कभी ना करें।

व्यापार वृद्धि के लिए अन्य वास्तु टिप्स

  • अपने ऑफिस अथवा कार्यस्थल का मुख्य भाग अथवा मुख्य दरवाजा या ऑफिस का मुंह पूर्व में या उत्तर में खुलना चाहिए यह वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तम माना गया है।
  • जहां ऑफिस का मालिक बैठे उसके पीछे मजबूत दीवार होनी चाहिए अर्थात कोई खिड़की दरवाजा रोशनदान नहीं होना चाहिए यह वास्तु के अनुसार ठीक नहीं माने गए।
  • कार्यस्थल में जहां उसका मालिक बैठे उसके पीछे कोई रोशनदान खिड़की आदि नहीं होना चाहिए।
  • ऑफिस में जब आप बैठे तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए या फिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए उत्तर पूर्व की स्थिति भी अच्छी मानी जाती है।
  • कार्यस्थल पूजा घर का स्थान उत्तर पूर्व में होना चाहिए।
  • अपने कार्यस्थल दीवारों का रंग हल्का या लाइट होना चाहिए सफेद क्रीम हल्का पीला इत्यादि। उससे ग्राहक की दृष्टि आपके दुकान के सामान पर पड़ेगी ना कि रंग पर। दुकान में हल्के रंग ही कराने चाहिए।
  • कार्यस्थल पर ज्ञानवर्धक चित्र पोस्टर आदि लगाने चाहिए जिससे आपका और आपके वर्करों में उत्साह बना रहे। और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहे।

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