पुष्पों के नाम संस्कृत मेंपुष्पों के नाम संस्कृत में

पुष्पों के नाम संस्कृत में :- संस्कृत भाषा हमारे देश का गौरव ही नहीं अपितु ज्ञान-विज्ञान की जननी भी है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। संस्कृत भाषा को पढ़ने, समझने और जानने की रुचि भारत में ही नहीं विदेशों में भी बढ़ रही है।

भारत के साथ-साथ इंग्लैंड, जर्मनी, इटली इत्यादि बड़े-बड़े देशों में भी संस्कृत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आज हम पाठ-14 में पुष्पों के नाम संस्कृत में पढ़ेगें। इनका प्रयोग नित्य वाक् व्यवहार में करने से संस्कृत पढ़ने में सरलता आयेगी।

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उपदेशात्मक संस्कृत श्लोक

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम् ॥

अर्थात् विद्यार्थी में यह पांच लक्षण होने चाहिए- कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद, अल्पाहारी (कम भोजन करने वाला), और गृह-त्यागी होना चाहिए।

पाठ-14

वर्तमान में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। आज हम संस्कृत भाषा सीखने हेतु चतुर्दश पाठ प्रारंभ कर रहे हैं जिसमें आज पुष्पों के नाम संस्कृत में जानेंगे। जिनका हम नित्य व्यवहार में प्रयोग कर सकते हैं। 

पुष्पों के नाम संस्कृत में

आइए हम भी संस्कृत भाषा को जानने का प्रयास करते हैं –

पुष्पों के नाम हिन्दी मेंपुष्पों के नाम संस्कृत में
कनेर
कमल (श्‍वेत)
 कमल (नील)
कमल (लाल)
कुमुद की लता
कुन्‍द
 केवड़ा
 गुलाब
गेंदा
 चम्‍पा
चमेली
जवाकुसुम
जूही
दुपहरिया
नेवारी
बेला
मौलसरी
 रातरानीर
 हारसिंगार
गुलदस्ता
 फूल  
कर्णिकारः
कल्हारम्, कुमुदम्, पुण्डरीकम्
इन्‍दीवरम्, कुवलयम्
कोकनदम्
कुमुदिनी
कुन्‍दम्
केतकी
स्थलपद्मम्
गन्धपुष्पम्
चम्‍पक:
मालती
जपापुष्‍पम्
यूथिका
बन्‍धूक:
नवमालिका
मल्लिका
बकुल:
जनीगन्‍धा
शेफालिका
स्तबकः
पुष्पम्, प्रसूनम्  

यह संस्कृत सीखने का चतुर्दश पाठ है। इसका अभ्यास अधिक से अधिक करें। जितना अधिक अभ्यास रहेगा उतने ही शीघ्र संस्कृत सीख सकेगें। 

।। जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।

सौजन्य- sanskritduniya.com

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