च्यवनप्राश

भारतीय ज्ञान निधि में जब हम च्यवनप्राश का नाम सुनते हैं तो हमें सर्दी जुखाम हृदय रोग नजला दमा आदि रोगों से बचे रहने के लिए इसका प्रयोग ध्यान में आता है। आयुर्वेद में च्यवनप्राश का प्रयोग स्वस्थ रहने के लिए बताया गया है। च्यवनप्राश एक प्रकार का जड़ी बूटियों का मिश्रण है जिसका नाम च्यवन ऋषि के नाम पर रखा गया है। मनुष्य स्वस्थ रहे, बीमारियां उसके समीप भी ना आ सके इसी संदर्भ में च्यवनप्राश नामक जड़ी बूटियों की आयुर्वेदिक चटनी का प्रयोग च्यवनप्राश के रूप में किया जाता है।

च्यवनप्राश में सर्वाधिक विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है। जिसका भरपूर लाभ मनुष्य को स्वस्थ रहने में मिलता है और वह कई प्रकार की मौसमी बीमारियों से बचा रहता है। विशेष रुप से बरसात और सर्दियों में होने वाले सर्दी जुखाम दमा ह्दयरोग आदि समस्याओं से राहत मिलती है। च्यवनप्राश की खोज के संबंध में बहुत ही सुंदर कथा भारतीय आयुर्वेदिक ग्रंथों में प्रचलित है। कहा जाता है कि जब च्यवन ऋषि वृद्ध हो गए तो उन्होंने युवा अर्थात नौजवान होने के लिए अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करने पर उनके लिए एक दिव्य आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का मिश्रण अथवा लेह तैयार किया जिसका प्रयोग करने पर च्यवन ऋषि वृद्ध से युवा हो गए। च्यवन ऋषि इस मिश्रण का प्रयोग कर योवन को प्राप्त हुए तो उनके नाम पर ही इस मिश्रण का नाम च्यवनप्राश रखा गया।

च्यवनप्राश का निर्माण-

च्यवनप्राश का निर्माण करने के लिए 40 से 50 घटकों अर्थात जड़ी बूटियों का प्रयोग करना पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से आंवले का प्रयोग रहता है क्योंकि आमला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। आंवले के साथ केसर, पिपली, नागकेसर, छोटी इलायची, दालचीनी, शहद, पाटला, अरणी, तेजपत्ता, श्योनक की छाल, बिल्व, गमभारी, कमलगट्टा, सफेद मूसली जैसी महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है।



च्यवनप्राश

च्यवनप्राश एक प्रकार का जड़ी बूटियों का मिश्रण है जिसका नाम च्यवन ऋषि के नाम पर रखा गया है। मनुष्य स्वस्थ रहे, बीमारियां उसके समीप भी ना आ सके इसी संदर्भ में च्यवनप्राश नामक जड़ी बूटियों की आयुर्वेदिक चटनी का प्रयोग च्यवनप्राश के रूप में किया जाता है।

कोरोना कोविड-19 जैसे संक्रमण से बचाव-

च्यवनप्राश एक प्रकार से व्यक्ति के प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनीटी)  को बढ़ाने का काम करता है और इसके साथ ही कई प्रकार की बीमारियों तथा रोगों से लड़ने की क्षमता इसमें रहती है। वर्तमान में कोरोना कोविड-19 जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए भी च्यवनप्राश अपने आप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। च्यवनप्राश का प्रयोग करने से सर्दी जुखाम नजला हृदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है। और कोरोना कोविड-19  के संक्रमण से वही व्यक्ति सुरक्षित रह पा रहे हैं जो इन बीमारियों से बचे हुए हैं। अतः इन बीमारियों से बचे रहने के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन च्यवनप्राश का प्रयोग करना लाभ कर रहता है। वर्तमान में व्यक्ति की जो भागमभाग भरी दिनचर्या है उसमें तो च्यवनप्राश की और अत्यधिक भूमिका रहती है क्योंकि व्यक्ति समय से जब भोजन आदि अपनी क्रियाएं नहीं करेगा तो उसको अपच जैसी  समस्याओं का सामना करना पड़ता है तब च्यवनप्राश इस प्रकार की सभी समस्याओं से भी हमें बचा कर रखता है। च्यवनप्राश का प्रयोग कर हम अपने प्रतिरोधक क्षमता अर्थात् इम्यूनिटी को बढ़ाकर स्वस्थ जीवन का लाभ ले सकते हैं।

चमन प्रकाश है एक प्रकार की संजीवन बूटी-

रामायण काल में वर्णित संजीवनी बूटी के बारे में हम सब लोगों ने सुना है।उसी संदर्भ में अगर च्यवनप्राश के बारे में चिंतन किया जाए तो वह वर्तमान में संजीवनी बूटी से कम नहीं है। च्यवनप्राश का प्रयोग कर हम अपनी बढ़ती उम्र को रोक सकते हैं अर्थात हम उसका प्रयोग कर अपने आप में युवा बनकर रह सकते हैं। क्योंकि च्यवनप्राश का जो मिश्रण है उसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हमारी त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाली हानी से बचाता है। और हमारी कोशिकाओं में पोषक तत्वों को ठीक रखने का काम करता है जो कि दिल को मजबूत बनाता है और दिमाग में मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देता। इसी प्रकार अगर हम अपने भागमभाग भरे जीवन को ध्यान करें तो पता चलता है कि हम खाने में कोलेस्ट्रोल बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग करते हैं जो कि हृदय के लिए हानिकारक होता है। तो च्यवनप्राश एक ऐसी जड़ी बूटी का मिश्रण है जो ब्लड सरकुलेशन को सही बनाए रखने में हमारी मदद करता है। च्यवनप्राश हमारी हृदय की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है बल प्रदान करता है जिससे कि दिल के धड़कन को भी नियंत्रित रखता है। च्यवनप्राश का प्रयोग हम पाचन तंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए भी करते हैं क्योंकि बहुत सारी बीमारियां हमारे पेट से ही प्रारंभ होती हैं अतः च्यवनप्राश का प्रयोग सही ढंग से करें तो हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उसी प्रकार से च्यवनप्राश हमारे शरीर के अंदर जो वात पित्त कफ आदि त्रिदोष होते हैं उन को संतुलित बनाए रखने में भी सहायता प्रदान करता है। च्यवनप्राश का सही प्रयोग करने पर हम पुराने से पुराने रोगों को भी ठीक कर सकते हैं।

च्यवनप्राश का सेवन कब कैसे और कितना करें-

च्यवनप्राश का सेवन शरीर में शक्तिवर्धन का कार्य करता है और रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है। च्यवनप्राश का सेवन 3 वर्ष की आयु से प्रारंभ कर किसी भी आयु तक कर सकते हैं। च्यवनप्राश का सेवन गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों में कर सकते हैं परंतु ज्यादातर लोग सर्दी जुखाम आदि समस्याओं के कारण सर्दियों में इसका ज्यादा प्रयोग करते हैं। च्यवनप्राश का सेवन करते समय ध्यान देना चाहिए कि सेवन से आधा घंटा पहले आधा घंटा बाद तक कुछ भी मसालेदार एवं खट्टी चीजें ना खाएं। मुंह में अगर छाले हों, नकसीर की समस्या हो, दस्त आदि भी हों तो च्यवनप्राश का प्रयोग उसमें ना करें क्योंकि च्यवनप्राश का गुण अर्थात तासीर गर्म रहती है। च्यवनप्राश का प्रयोग दिन में दो बार कर सकते हैं सुबह और शाम को। दूध के साथ हम च्यवनप्राश का उपयोग कर सकते हैं। च्यवनप्राश की सेवन की मात्रा के संबंध में बताया जाता है कि 1 से 5 साल के बच्चे के लिए आधा चम्मच,  6 से 12 साल के बच्चे के लिए एक चम्मच और 12 वर्ष से ऊपर के आयु के व्यक्तियों के लिए 1 से 3 चम्मच के बीच की मात्रा का सेवन प्रतिदिन ठीक रहता है। इसका प्रयोग गर्भवती महिलाएं भी एक चम्मच के रूप में कर सकती हैं।

च्यवनप्राश के अन्य गुण एवं लाभ-

  • च्यवनप्राश हमारे हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • चमनपरास के नियमित प्रयोग से शरीर में एक नई ऊर्जा एवं स्फूर्ति का संचार रहता है।
  • चमनपरास के प्रयोग से हमारे शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं।
  • पेट में गैस एवं एसिडिटी अल्सर आदि रोगों के होने की संभावनाओं से बचाव रहता है।
  • च्यवनप्राश के प्रयोग से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है तथा अनिद्रा तनाव एवं थकान को दूर करता है।
  • च्यवनप्राश के प्रयोग से हमारा पाचन तंत्र बिल्कुल स्वस्थ रहता है
  • च्यवनप्राश के प्रयोग से त्वचा के प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने में लाभ रहता है

बाजार में उपलब्ध च्यवनप्राश –

च्यवनप्राश के बढ़ते प्रयोग के कारण बाजार में कई कंपनियों ने अपने आयुर्वेदिक च्यवनप्राश को ग्राहकों के लिए उतारा है। इन च्यवनप्राश के नाम निम्न प्रकार से जान सकते हैं-

-डाबर चमनपरास

-पतंजलि च्यवनप्राश

-वैद्यनाथ च्यवनप्राश

-सोना चांदी च्यवनप्राश

-कल्पामृत च्यवनप्राश

-जीवा च्यवनप्राश

-शतायु चमनपरास

-हमदर्द चमनपरास

-ऑर्गेनिक इंडिया च्यवनप्राश इत्यादि

कोरोना कोविड-19  जैसे संकट में संपूर्ण विश्व जिस स्थिति से जूझ रहा है इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए भी च्यवनप्राश अपनी अहम भूमिका निभा सकता है क्योंकि जिनकी इम्यूनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी वही कोरोना कोविड-19  जैसे वायरस से भी बचा रहेगा और स्वस्थ जीवन जी पाएगा। हम अपने प्राचीन ज्ञाननिधि वैदिक पद्धतियों का प्रयोग कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

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